गाजीपुर बॉर्डर: नहीं रहे कामरेड कंचन, क्रांतिकारी-सामाजिक आंदोलनों को समर्पित कर दिया पूरा जीवन
पिछले आठ महीनों से इंकलाबी मज़दूर केंद्र की टीम के साथ किसान आंदोलन के गाजीपुर बॉर्डर पर डटे कामरेड कंचन के असामयिक निधन पर आज गाजीपुर बॉर्डर मंच की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस मौके पर हुई सभा में कामरेड कंचन को याद करते हुये वक्ताओं ने कहा कि उनका पूरा जीवन क्रांतिकारी- सामाजिक आंदोलनों को समर्पित रहा। वे अपने गीतों से लोगों में जोश भर देते थे। वे जिस कर्मठता के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे वह सभी को बहुत प्रेरित करता था।
उन्होंने मई दिवस के मौके पर साथियों के साथ मिलकर कॉर्पोरेट लूट पर बहुत अच्छा नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया था। वे जी- जान से आंदोलन को आगे बढ़ाने में लगे थे। ऐसे समर्पित साथियों के बल पर ही किसान आंदोलन आज एक ऐतिहासिक आंदोलन बन गया है, जिसकी गाथाओं को पीढियां सुनाया करेंगी। जैसे ये किसान आंदोलन अमर हो चुका है वैसे ही कामरेड कंचन भी लोगों के दिलों में अमर रहेंगे।
वक्ताओं ने कहा कि अभी तक हम अपने सात सौ से अधिक साथियों को खो चुके हैं। हमारे इन्हीं शहीद साथियों में से एक कामरेड कंचन भी हैं। हमारे इन साथियों की मृत्यु के लिये ये लुटेरी व्यवस्था जिम्मेदार है। इन साथियों की क्षतिपूर्ति संभव नहीं है। यह हमारे लिये बेहद शोक की घड़ी है, लेकिन हमें इस शोक को संकल्प और ताकत में बदलना होगा और इस फासीवादी हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष को जी- जान से आगे बढ़ाना होगा।
सभा में गाजीपुर बॉर्डर के मंच संचालक ओमपाल मालिक, अखिल भारतीय किसान सभा के कामरेड डी पी सिंह, अखिल भारतीय किसान मज़दूर सभा कामरेड आशीष मित्तल, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान मज़दूर सभा के कामरेड विमल त्रिवेदी अखिल भारतीय किसान खेत मज़दूर संगठन के कामरेड रंजीत प्रधान इंकलाबी मज़दूर केंद्र से कामरेड रोहित एवं अन्य किसान आंदोलनकारियों ने कामरेड कंचन की यादों को साझा किया।
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