खोरी गांव में 5 हजार घर जमींदोज, अमानवीय स्थिति में लोग, प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए लगाई गुहार
खोरी गांव को उजाड़ने के लिए चल रही तोड़ फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ 20 जुलाई को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन हुआ।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में खोरी गांव के निवासियों समेत विभिन्न वक्ताओं ने शिरकत की और खोरी गांव को उजाड़ने की प्रशासन की कार्रवाही का जमकर विरोध किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहा गया, ”हम इस बात पर बल देना चाहते हैं कि जिस जंगल को बचाने के लिए खोरी के गांव उजाड़े जा रहे हैं वह पहले ही 1970-80 के दशक में गैर कानूनी खदानों की वजह से बर्बाद हो चुके थे और उन खानों में काम करने वाले मजदूरों के परिवार आज वहां रह रहे हैं।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह अपील की गई कि इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत है और खोरी के लोगों को बेघर करने के खिलाफ बोलना होगा। यह उनके मूलभूत अधिकार का हनन है।
इस दौरान कुछ मांगें भी रखी गईं-
• खोरी में तोड़ फोड़ पर तत्काल रोक।
• जिनके घर टूटे हैं उन्हें उचित मुआवजा।
• खोरी गांव से गिरफ़्तार लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।
• पानी, बिजली और साफ सफाई का तत्काल इंतजाम
• भूमि माफिया और लोगों को ठगने में शामिल अधिकारिओं के खिलाफ कार्रवाई।
विभिन्न वक्ताओं की राय
एन डी पंचोली (पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज के उपाध्यक्ष)
प्रेस कांफ्रेंस में आए पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज के उपाध्यक्ष एन डी पंचोली ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि उनके देश में लोगों को उजाड़ा जायेगा और मुख्यमंत्री अपने लिए सेंट्रल विष्टा जैसा प्रोजेक्ट बनवाएगा।
उनका कहना था की खोरी की लड़ाई हम सब की लड़ाई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आवास का अधिकार मूलभूत अधिकार के साथ साथ मानवाधिकार भी है।
डीयू प्रोफेसर सचिन
डीयू के प्रोफेसर सचिन का कहना था कि खोरी में जारी तोड़ फोड़ की मीडिया रिपोर्टिंग लगभग न के बराबर है। पहले राज्य ने यहां के मजदूरों से मजदूरी करवाई और अब उन्हें बेघर कर रही है।
सुखविंदर कौर (बी के यू (क्रांतिकारी))
भारत में न्याय हासिल करना कठिन है। उन्होंने बल दिया की लोगों को बेघर किया जा रहा है और उन्हें कोई आवास नहीं दिया जा रहा इसलिए पुनर्वास एक धोखा है। उन्होंने कहा की जब हजारों एकड़ जंगल की जमीन बेची जा रही है तो खोरी को पर्यावरण के नाम पर हटाना अन्याय है।
रविंदर सिंह मुरथल (अध्यक्ष, भारतीय किसान पंचायत हरियाणा)
रविंदर सिंह मुरथल ने कहा कि अभी खोरी की घटना हाल में जनता पर हुए प्रहार का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कोर्ट अमीरों, मंत्रियो और कॉरपोरेट का है। हम खोरी के लोगों के साथ हैं।
अनिल चमडिया (वरिष्ठ पत्रकार)
अनिल चमडिया ने कहा कि यह जमीन पर्यावरण के नाम पर खाली करा कर कॉरपोरेट के लोगों को दी गई है और यह एक प्रक्रिया जो खोरी के लोग झेल रहे हैं। उन्होंने वकीलों के अपील की कि 27 जुलाई को होने वाली सुनवाई में खोरी के लोगों की ओर से पहुंचे।
निवासियों का दर्द
खोरी निवासी नूर सलमा का कहना था की घरों के टूटने के बाद लोग भयंकर अमानवीय स्थिति में जी रहे हैं। न उनके पास पानी है न भोजन। यहां तक कि पुलिस इन लोगों तक बाहर के लोगों की मदद तक नहीं पहुंचने दे रही है। पुलिस कहती है की उन्हें मरने दो।
एक अन्य निवासी महफूज का कहना था कि गरिमा मित्तल का कहना है की 3.77 लाख रूपये दे कर उन्हें ढबुआ में घर दिया जाएगा जिसे 2500 की किश्तों में लोगों को देना होगा।
अगर सरकार पुनर्वास करवा रही है तो पैसे हम क्यों दे और हमारे पास है भी नहीं देने को। उनका कहना था की 27 की सुनवाई बेकार है क्योंकि तब तक सारे घर टूट जायेंगे। हमें घरों को टूटने से रोकना है।
लगातार जारी संघर्ष
प्रेस कॉन्फ्रेंस के अनुसार प्रशासन खोरी की आवाज दबाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
खोरी गांव में सक्रिय प्रतिरोध का पहला प्रर्दशन 30 जून को हुआ जिसमे राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अलावा खोरी के निवासियों पर बर्बर लाठी चार्ज किया गया।
7 जून को खोरी वासियों की सभा हुई जिसमें भारी संख्या में लोगों ने अपना प्रतिरोध दर्ज कराया।
8 जून को जन्तर मतर में आयोजित प्रदर्शन पर भी पुलिस का दमन हुआ और 600 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया गया।
इसके अलावा खोरी में लगातार वहां के निवासियों की गिरफ्तारी जारी है
15 जुलाई को खोरी में बुल्डोजर और JCB के प्रवेश को रोकने के लिए किए गए प्रर्दशन पर पुलिस ने भयंकर लाठी चार्ज किया और तीन राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अलावा 6 खोरी के लोगों को गिरफ़्तार किया जिसमे 3 महिलाएं भी हैं।
संयुक्त राष्ट्र का पक्ष
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त राष्ट्र के पक्ष को भी दोहराया गया। बताया गया कि अभी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मुद्दे को ध्यान में लिया और बयान दिया कि हम भारत सरकार से गुजारिश करते हैं कि वह स्वयं अपने कानून और 2022 तक सभी बेघरों को घर देने के अपने लक्ष्य का सम्मान करे और 1,00,000 लोगों के घरों को बक्श दे जो मुख्यतः मजदूर और हाशिए से आए लोग हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ का कहना है कि हमें बेहद चिंता है कि भारत का उच्चतम न्यायालय जिसने अतीत में अंतरिक विस्थापन और बेघर होने के खिलाफ आवास के अधिकार की रक्षा की है अब वही खोरी के मामले में अंतरिक विस्थापन और बेघर होने के खतरे के साथ खीरी को खाली करवा रही है
गौरतलब है कि 7 जून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के अनुसार हरियाणा सरकार ने खोरी गांव में बुलडोजर और JCB के साथ तोड़ फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी है।
अभी तक 5000 से ज्यादा घरों को जमींदोज कर दिया गया है और उनमें रहने वाले लोग इस बारिश गर्मी में बेपनाह, भूखे प्यासे मौसम की मार झेल रहे हैं।
तोड़ फोड़ की प्रक्रिया पिछले साल सितंबर में ही आरंभ हो गई थी जिसे अब पूरी निर्ममता के साथ खोरी में जारी रखा है। खोरी में 5000 गर्भावती महिलाएं, 20000 बच्चे और हजारों बुजुर्ग और बीमार हैं। खोरी की पूरी आबादी डेढ़ लाख से ज्यादा की है।
जब से सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया है लोगों में इतनी दहशत है कि अब तक लगभग 7 लोगों ने आत्महत्या कर ली है और कई दहशत से मार गये।
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