किसान संसद में ‘कांट्रेक्ट फार्मिंग’ के खिलाफ पारित हुआ प्रस्ताव
किसान संसद के छठे दिन किसानों ने कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून को निरस्त करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।
किसान संसद ने सर्वसम्मति से “किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020” को असंवैधानिक, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक बताते हुए खारिज किया, और अधिनियम को निरस्त घोषित किया।
किसान संसद में यह स्वीकार किया गया कि अधिनियम कॉर्पोरेट द्वारा किसानों से संसाधन हथियाने के लिए है, और वास्तव में कॉर्पोरेट खेती को बढ़ावा देने के लिए लाया गया था। इस कानून के विभिन्न खंड स्पष्ट करते हैं कि यह कॉर्पोरेट को विभिन्न कानूनों के नियामक दायरे से मुक्त करने के लिए है, जबकि जहां किसान की बात आती है, तो अनुबंध खेती में प्रवेश करने वाले किसानों के लिये कोई सुरक्षात्मक प्रावधान नहीं हैं।
किसान संसद ने यह भी संकल्प किया और अपील की कि भारत के राष्ट्रपति को यह देखना चाहिए कि संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहे। मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपने कार्यकाल के दौरान संसद की कार्यवाही को नियमों और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार संचालित करने में बुरी तरह विफल रही है।
संसद के दोनों सदनों में लोगों की कष्ट, पीड़ा और जीवन और मृत्यु के मुद्दों सहित गंभीर मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी जा रही।
‘संसद’ के दौरान किसानों ने बताया कि कैसे कानून, विभिन्न धाराओं के तहत कॉरपोरेट को कानूनों के नियामक दायरे से छूट देता है, जबकि यह अनुबंध खेती में करने वाले किसानों को कोई सुरक्षात्मक प्रावधान प्रदान नहीं करता है।
गौरतलब है कि किसान संसद की कार्यवाही गुरुवार को छठे दिन भी जारी रही, जिसमें 200 किसानों का एक और जत्था शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से जंतर-मंतर पहुंचा। संसद स्थल पर भारी बारिश और बाढ़ के बावजूद किसान संसद की कार्यवाही निर्धारित समय सीमा के अनुसार निर्बाध रूप से आयोजित की गई।
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