योगी सरकार के निशाने पर मजदूर नेता, किसी को धमकी तो किसी पर एफआईआर
22 मई को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र मजदूर संगठनों के सामूहिक प्रतिरोध दिवस पर योगी सरकार तिलमिला गई है।
हालांकि, ये सांकेतिक प्रतिरोध था और इसमें न कोई भीड़भड़ाका था और न ही तीखे भाषणों और नारों का प्रदर्शन। फिर भी कई जगह से ऐसी खबरें आई हैं कि मजदूर नेताओं को धमकाया गया या एफआईआर करा दी गई।
ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर प्रयागराज के श्रम संगठनों ने महामारी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए उप श्रमायुक्त को ज्ञापन दिया।
ये बात प्रशासन को अखर गई और कटरा पुलिस चौकी में इंडियर रेलवे एंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पांडे, एक्टू के राष्ट्रीय सचिव डॉ.कमल उसरी समेत 13 मजदूर नेताओं पर एफआईआर दर्ज करा दी गई।
ज्ञापन देने वाले संगठनों में एक्टू, एटक, इंटक, एआईयूटीयूसी, सीटू, ठेका मजदूर, सफाईकर्मी, राज्य कर्मचारी और केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि थे। इन संगठनों ने सरकार के विद्वेषपूर्ण रवैये की भत्र्सना कर एफआईआर वापस लेने की मांग की है।
इधर, बरेली में बीमा कर्मचारी नेता गीता शांत को लगातार तीन दिन तक खुफिया विभाग विरोध दिवस न मनाने के लिए धमकाता रहा। महामारी अधिनियम से लेकर कई कानूनी धाराओं का हवाला देकर कार्यक्रम न करने का दबाव बनाया।
हालांकि आह्वान करने वाली ट्रेड यूनियनों से जुड़ी यूनियनों ने प्रतिरोध जताकर सरकार को श्रम कानूनों से छेड़छाड़ न करने की चेतावनी दी और मजदूरों के साथ हो रहे बर्ताव पर नाराजगी जताई।
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