“चोट और बीमारी के कारण हर साल 30 लाख से ज्यादा मज़दूरों की जाती है जान” – अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन

“चोट और बीमारी के कारण हर साल 30 लाख से ज्यादा मज़दूरों की जाती है जान” – अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization ) ने अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुए हुए बताया की दुनिया भर में लगभग 30 लाख लोग काम से संबंधित दुर्घटनाओं और बीमारियों से मर जाते हैं.इसके साथ ही ILO की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है की लगभग 395 मिलियन मज़दूर अपने कार्यस्थलों पर गैर जानलेवा चोटों का भी शिकार होते हैं.

जेनेवा स्थित मुख्यालय से जारी आईएलओ की रिपोर्ट के नए अनुमान के मुताबिक काम से संबंधित दुर्घटनाओं और बीमारियों के कारण हर साल लगभग 30 लाख मज़दूरों की मौत हो जाती है, जो 2015 की तुलना में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है.

यह संख्या विश्व स्तर पर मज़दूरों के स्वास्थ्य और सुरक्षा लगातार हो रही कोताही और चुनौतियों को रेखांकित करता है.

गौर करने वाली बात ये है कि इनमें से अधिकांश कार्य-संबंधित मौतें जो की कुल मिलाकर 2.6 मिलियन है , कार्य-संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं.

हर साल 330,000 मज़दूरों की होती है मौत

विश्लेषण के अनुसार कार्य स्थल पर दुर्घटनाओं के कारण 330,000 मौतें होती हैं.

इन बिमारियों में परिसंचरण संबंधी बीमारियाँ, घातक नियोप्लाज्म और साँस संबंधी बीमारियाँ काम से संबंधित मृत्यु के शीर्ष तीन कारणों में से एक हैं. कुल मिलाकर ये तीन श्रेणियां कुल कार्य-संबंधित मृत्यु दर में तीन-चौथाई से अधिक का योगदान देती हैं.

नई ILO रिपोर्ट ‘ ए कॉल फॉर सेफ़र एंड हेल्दी वर्किंग एनवायरनमेंट’ में शामिल नया डेटा, कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य पर 23वीं विश्व कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया. ये सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बीते 27-30 नवंबर आयोजित हुआ था.

रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं (प्रति 100,000 पर 17.2) की तुलना में काम से संबंधित घटनाओं में पुरुषों (51.4 प्रति 100,000 पर ) की अधिक मृत्यु होती है.

एशिया में मज़दूरों की सबसे ज्यादा मौत

इसके साथ ही मज़दूरों की ये मृत्यु दर एशिया और प्रशांत क्षेत्र में काम से संबंधित मृत्यु दर (वैश्विक कुल का 63 प्रतिशत) सबसे अधिक है.

कृषि, निर्माण, वानिकी और मछली पकड़ने और विनिर्माण सबसे खतरनाक क्षेत्र हैं, जिनमें प्रति वर्ष 200,000 घातक चोटें होती हैं, जो सभी घातक व्यावसायिक चोटों का 63 प्रतिशत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से, दुनिया भर में तीन में से एक घातक व्यावसायिक चोटें कृषि श्रमिकों के बीच होती हैं.

सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए ILO ने 2024-2030 के लिए व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर वैश्विक रणनीति नामक एक नई योजना पेश की है.

ILO कर रही है तीन उपायों पर काम

यह रणनीति के अनुसार ILO तीन सबसे जरुरी उपायों को लेकर आगे बढ़ेगी :-

1 . सबसे पहले विश्वसनीय डेटा को बढ़ावा देने और योग्यता का निर्माण करके व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (ओएसएच)
ढांचे में सुधार किये जाएं

2 . राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ओएसएच में समन्वय, साझेदारी और निवेश को मजबूत करना

3 . ILO-OSH 2001 सिद्धांतों को बढ़ावा देकर, कार्य स्थलों पर विशिष्ट खतरों, जोखिमों, क्षेत्रों और व्यवसायों को चिन्हित कर
उसके अनुरूप सुरक्षा उपाय बनाकर कार्यस्थल OSH प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ाने पर

हालाँकि अब देखने वाली बात होगी इन उपायों को लेकर ILO कितना सजग है. क्योंकि तकरीबन हर साल मज़दूरों की बदहाली से सम्बंधित ऐसे रिपोर्ट जारी होते है और उनमे नई रणनीतियों का भी जिक्र होता है.लेकिन साल दर साल कार्यस्थलों पर मज़दूरों के लिए परिस्थितियां बदतर ही होती गई हैं.

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Abhinav Kumar

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