डीयू के एडहॉक असिस्टेंट प्रोफे़सर ने नौकरी से निकाले जाने के बाद की आत्महत्या
नौकरी से निकाले जाने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में एड हॉक टीचर ने बीते बुधवार को आत्महत्या कर ली।
इससे गुस्साए यूनिवर्सिटी के अध्यापकों और छात्रों ने नॉर्थ कैंपस में प्रदर्शन किया और बीते साल के मध्य से परमानेंट भर्ती में मनमानी के ख़िलाफ़ आक्रोश व्यक्त किया।
‘द हिंदू’ अख़बार के अनुसार, एडहॉक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर समरवीर सिंह ने दिल्ली के पीतमपुरा में बुधवार को ख़ुदकुशी कर ली।
राजस्थान के रहने वाले समरवीर को इसी साल फ़रवरी में परमानेंट सेलेक्शन के नाम पर नौकरी से हटा दिया गया था. वो वहां क़रीब छह साल से अधिक समय से दर्शन शास्त्र पढ़ा रहे थे।
वो दिल्ली के पीतमपुरा में अपने रिश्तेदार राहुल सिंह के साथ रहते थे।
नौकरी जाने से वो काफ़ी परेशान थे और घर की ज़िम्मेदारी उन्हीं पर थी। सहकर्मी प्रोफ़ेसरों ने फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा कि उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई हिंदू कॉलेज से की थी और पीएचडी जेएनयू से।
4,267 एडहॉक असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों का भविष्य दांव पर
बता दें कि 2019 में यूनिवर्सिटी के एडहॉक टीचर्स को उनकी जगहों पर परमानेंट किए जाने को लेकर एक बड़ा आंदोलन हुआ था और उस समय दिल्ली टीचर्स यूनियन (डूटा) की अगुवाई में महीने भर तक चली हड़ताल थी।
प्रोफ़सरों और एडहॉक टीचर्स ने वीसी ऑफ़िस पर कब्ज़ा कर लिया था। उस समय सालों से पढ़ा रहे एडहॉक टीचर्स को मनमाने तरीके से निकाला जा रहा था।
लेकिन मामला कोर्ट में चला गया और कोर्ट ने आदेश दिया कि जबतक परमानेंट भर्ती नहीं होती किसी एडहॉक टीचर को नहीं निकाला जा सकता।
पिछले एक साल से यूनिवर्सिटी में परमानेंट टीचर्स का अप्वाइंटमेंट हो रहा है और 10-10 12-12 साल से पढ़ा रहे टीचर्स की बड़े पैमाने पर छंटनी की जा रही है।
इसे लेकर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी डीयू वीसी को चिट्ठी लिख कर सभी टीचर्स को उनके पोस्ट पर परमानेंट करने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि परमानेंट करने की प्रक्रिया में 70% टीचरों तक को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
डीयू एकेडमिक काउंसिल की सदस्य प्रोफ़ेसर माया जॉन ने एक बयान में कहा है कि सरकारी फंड से चलने वाली और देश की प्रतिष्ठित दिल्ली यूनिवर्सिटी अभूतपूर्व
गिरावट का गवाह बन रही है। यहां अध्यापकों में नौकरी की असुरक्षा चरम पर पहुंच गया है।
राज्यसभा में भी इस पर सवाल उठाए गए थे। उस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री सुभाष सरकार ने सदन को बातया कि 31 जनवरी 2023 तक दिल्ली के यूनिवर्सिटी के 68 कॉलेजों में कुल 4,267 एहडॉक टीचर्स पढ़ा रहे थे।
परमानेंट इंटरव्यू में धांधली के आरोप, जांच की मांग
प्रदर्शन के दौरान प्रोफ़ेसर आभादेव हबीब ने टीचर भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली की जा रही है। इसकी जांच की जानी चाहिए। दस साल से पढ़ा रहे अध्यापकों को दो मिनट के इंटरव्यू में निकाला जा रहा है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की एशोसिएट प्रोफ़ेसर मोनामी बसु ने भी अप्वाइंटमेंट में धांधली को लेकर तीख़े प्रश्न पूछे हैं।
उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज में हुए एक नए नियुक्त टीचर की यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ फ़ोटो और समरवीर की फ़ोटो लगाते हुए लिखा है, “अभी कुछ दिन पहले ही किरोड़ीमल कॉलेज में राजनीति शास्त्र में परमानेंट भर्तियां हुई हैं। जिस टीचर को निकाला गया वो वहां पर दस साल से अधिक समय से पढ़ा रहे थे। उनके स्टूडेंट प्रदर्शन कर रहे हैं। उसकी जगह जिनकी नियुक्ति हुई है ये उनकी तस्वीर है।”
उन्होंने लिखा है, “दाहिनी तरफ़ जो तस्वीर है वो समरवीर की है जिन्होंने हिंदू में सालों तक पढ़ाया और अब उन्हें बाहर निकाल दिया गया, उन्होंने बीती रात आत्महत्या कर ली।”
“आप खुद निष्कर्ष निकाल सकते हैं। लेकिन इन कहानियों को सबके सामने लाने की ज़रूरत है.”
निकाले गए एडहॉक टीचर्स का क्या है कहना?
जिन एडहॉक टीचर्स को निकाला गया है उन्होंने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर कहा है कि “दिल्ली यूनिवर्सिटी की परमानेंट भर्तियों में बड़े पैमाने पर वामपंथी, लोकतांत्रिक, समन्वय का विचार रखने वाले टीचरों को सामने ही कहा जा रहा है कि उनका नहीं होगा भले ही वो कितने अच्छे टीचर हों, या कितने सालों से पढ़ा रहे हों।”
एक अन्य एडहॉक टीचर ने कहा कि ‘इंटरव्यू से पहले ही लोगों को पता चल जा रहा है कि किसका सेलेक्शन होने वाला है और किसे निकाला जा रहा है। इससे एडहॉक टीचर्स में काफ़ी निराशा हताशा है और उसी का परिणाम है समरवीर की आत्महत्या की घटना।’
उन्होंने कहा कि “इंटरव्यू लेने के लिए एक्सपर्ट को बाहर से बुलाया जा रहा है और वे अपनी जेब में अपना अपना कैंडिडेट लेकर आ रहे हैं। एक कॉलेज के इंटरव्यू में रिश्वत की चर्चा गर्म है। लेकिन इन्हें रोकने वाला कौन है?”
दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू देने आए एक कैंडिडेट इस बात से बहुत आक्रोषित था कि उससे एक्सपर्ट ने पूछा कि आपका नाम अंगद है तो आप रामायण में अंगद रावण प्रसंग सुनाईए। जबकि उसका ये विषय नहीं था।
समरवीर सिंह के एक क़रीबी दोस्त आशुतोष ने ‘द हिंदू’ को बताया कि वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे थे।
आशुतोष ने बताया कि नौकरी जाने के बाद समरवीर सिंह काफ़ी परेशान लग रहे थे. वो अक्सर कहा करते थे कि एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों को एक ख़ास नेटवर्क के ज़रिये भर्ती किया जा रहा है।
समरवीर सिंह के भाई राहुल सिंह ने कहा,”समरवीर ने मुझे बताया कि उनसे कम योग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी जा रही है. इससे वो काफ़ी परेशान थे।”
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