गांधी जयंती पर योगी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह, हाथरस में नाकाबंदी से रोष, प्रदर्शन जारी
गांधी जयंती पर दो अक्टूबर को भी हाथरस के खिलाफ आक्रोश जताने का सिलसिला जारी रहा। एक ओर हाथरस में पुलिसिया नाकाबंदी के खिलाफ रस्साकशी से माहौल गरमाया रहा तो दूसरे शहरों में धरना प्रदर्शनों का सिलसिला जारी रहा। कुछ संगठनों ने योगी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर हाथरस कांड के दोषियों पर कार्रवाई, किसान अध्यादेश वापस लेने और रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की।
सोशल मीडिया के दबाव और डिजिटल माध्यम के मुखर होने से शर्मिंदा होकर मुख्यधारा की मीडिया कहे जाने वाले कुछ समाचार चैनलों ने भी हाथरस की ओर रुख किया है। इस दौरान विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ता भी दिवंगत पीडि़ता के परिजनों से मिलने पहुंचे, लेकिन पुलिस की नाकाबंदी सख्त होने से निराश होना पड़ा।
उत्तरप्रदेश के बरेली में भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज की ओर से धरना प्रदर्शन में नगर निगम सफाई नायकों और कर्मचारियों के शामिल होने से प्रशासन चौकन्ना हो गया। पीडि़ता को न्याय देने की मांगों के लिए ज्ञापन दिया। इसके अलावा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मलिन बस्तियों में सभाएं कर पीडि़ता को श्रृद्धांजलि दी।
- मोदी के संसदीय क्षेत्र से निजीकरण की शुरुआत
- बिजली कर्मचारियों ने पर्चा निकाल कर कहा, निजीकरण के बाद किसानों को देना पड़ेगा हर महीने 6000 रु.
एक दिन पहले हाथरस मामले में न्याय की मांगों पर प्रदर्शन करने वाले क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और लोक मोर्चा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर शांति भंग करने की धाराओं में जेल भेज दिया गया था, गांधी जयंती के अवकाश के चलते दो अक्टूबर को उनकी रिहाई की प्रक्रिया नहीं हुई।
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने बताया कि लगातार बढ़ रही महिलाओं पर हिंसा के खिलाफ हाथरस के डीएम पर कार्रवाई करने, किसान विरोधी विधेयकों को वापस लेने, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने और मनरेगा में काम व काम का पूरा दाम देने की मांग पर मजदूर किसान मंच की इकाइयों के साथ सत्याग्रह किया गया।
अखिल भारतीय किसान मजदूर संघर्ष समन्वय समिति व अन्य जनवादी संगठनों के आह्वान हुए इस कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश में सोनभद्र, चंदौली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, रामपुर, इलाहाबाद, गोंडा, बस्ती, वाराणसी, आगरा और लखनऊ में किया गया। प्रदर्शकारियों ने कहा कि तानाशाही पर उतारू योगी सरकार ने सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है और उसे अब इस्तीफा देना चाहिए.
कार्यक्रम का नेतृत्व राजेश सचान, सुनीता रावत, इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, कृपाशंकर पनिका, कांता कोल, मंगरु प्रसाद, राजेंद्र प्रसाद गोंड़, नागेंद्र गौतम, अनिल सिंह, यूके श्रीवास्तव, प्रीती श्रीवास्तव, साबिर अजीजी, राजनारायण मिश्रा, योगीराज सिंह आदि ने किया।
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