सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बोले किसान नेता- कमेटी के सभी सदस्य सरकार समर्थक
संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों को सरकार समर्थक बताते हुए कहा कि यह आंदोलन को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश है।
किसान संगठनों ने कहा कि कमेटी के सदस्य भरोसेमंद नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने लेख लिखे हैं कि कृषि कानून किस तरह से किसानों के हित में हैं। किसान नेताओं ने ऐलान किया कि वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे और इसे जारी रखेंगे।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”हम किसी भी कमेटी के सामने उपस्थित नहीं होंगे। हमारा आंदोलन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ है। हमने सुप्रीम कोर्ट से कमेटी बनाने का कभी अनुरोध नहीं किया और इसके पीछे सरकार का हाथ है।”
किसान संगठनों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने आप ही कृषि कानूनों को रद्द कर सकता है।
किसान नेताओं ने कहा, ”कमेटी में शामिल लोगों के जरिए सरकार यह चाहती है कि कानून रद्द ना हो। वहीं, 26 जनवरी का कार्यक्रम अपने तय समय के अनुसार होगा। वह शांतिपूर्ण होगा और उसके बाद भी आंदोलन जारी रहेगा”
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है कि हम लाल किला फतह करने जा रहे है। हम लाल किला नहीं जा रहे हैं। इसकी रूपरेखा 15 जनवरी को रखेंगे।
इससे पहले मंगलवार को दिन में सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगाते हुए इस पर कमेटी के गठन का आदेश दिया था। इस कमेटी में बेकीयू अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी,अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद कुमार जोशी और महाराष्ट्र के शेतकारी संगठन के अनिल धनवट का नाम शामिल था।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला किया है। मीडिया के जरिए उसका पता चला है। अभी तक हमें ऑर्डर की कापी नहीं मिली है।”
“हमें लगता है कि यह सरकार की शरारत है। वह अपने ऊपर से दबाव कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी ला रही है। हम ऐसी कमेटी सामने पेश नहीं होंगे। हमारा आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा।”
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