दिल्ली: 300 झुग्गियों में से 210 का सर्वे पूरा, पुनर्वास को लेकर सरकार ने बनाई नई नीतियां!
देश की राजधानी दिल्ली में बनी 300 में से 210 झुग्गी बस्तियों का सर्वे पूरा कर लिया गया है। जिसको लेकर केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि दिल्ली में 300 से अधिक ‘झुग्गी’ समूहों में से केंद्र सरकार ने 210 का सर्वेक्षण किया है।
राजद सदस्य मनोज झा के सवालों के जवाब में मंत्री ने कहा –
1 जनवरी 2006 से पहले बनी झुग्गी झोपड़ी बस्तियों को बिना पुनर्वास उपलब्ध कराये नहीं हटाया जायेगा। जबकि 2015 से पहले आई व्यक्तिगत झुग्गियों को भी वैकल्पिक आवास प्रदान किए बिना नहीं तोड़ा जायेगा। वहीं 2015 के बाद बसी झुग्गीबस्तियों को बिना पुनर्वास दिए तुरंत हटा दिया जाएगा।
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री ने कहा कि “दिल्ली सरकार ने तीन नीतियां बताई हैं जिसमे पहली यह है कि वह हर तीन महीने में किसी भी नए झुग्गी बस्तियों निर्माण पर नजर रखने के लिए उपग्रह मानचित्रों को खरीदा जायेगा। दूसरा पूरी दिल्ली में कहीं भी बसने वाली नई झुग्गियों को तुरंत हटा दिया जाएगा। और तीसरा यह कि झुग्गी झोपड़ी बस्तियों से स्वयंसेवकों को नामांकित किया जायेगा जो दिल्ली सरकार को नई झुग्गी बसने की जानकारी देंगे।”
पुरी ने राज्यसभा को बताया कि पुनर्विकास के लिए आने वाली सात सरकारी कॉलोनियां 536 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई हैं। और
507 ‘झुग्गी’ परिवारों की पहचान की गई है, जो पात्र और अपात्र दोनों हैं।
जमीनी हकीकत
गौरतलब है कि जिन चुनावी वादों के साथ केंद्र और दिल्ली सरकार सत्ता में आयी थी अब वह उनसे मुकरने लगी हैं। 2013 में चुनावी प्रचार के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री ने झुग्गी वासियों से वादा किया था कि, जहां झुग्गी वहां मकान बनाये जायेंगे।
वहीं मोदी सरकार ने भी देश के हर नागरिक को 2022 तक घर देने का वादा किया था। लेकिन जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है।
वर्तमान में दिल्ली में बसी लगभग आधी झुग्गियों को उजाड़ दिया गया है। जिसमें कस्तूरबा नगर (सेवानगर) के अलावा कस्तूरबा नगर (शाहदरा), कटपुतली कॉलोनी (शादीपुर) और खड़क गांव में लगभग 100 से ज्यादा झुग्गियों को तोड़ दिया गया है। और इनमें रहने वाले गरीब मज़दूर परिवारों के लिए पुनर्वास का कोई इंतज़ाम नहीं किया गया है।
वर्कर्स यूनिटी लगातार झुग्गी बस्तियों को लेकर खबरें प्रकाशित करता रहा है जिसमें दिल्ली में झुग्गीवासियों के पुनर्वास को लेकर बड़े सवाल भी उठाये गए हैं।
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हाल ही में कस्तूरबा नगर स्थित सेवानगर की ग्राउंड रिपोर्ट में ही देखा जा सकता है कि 29 मार्च 2022 को सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट, CPWD ने 60 साल पुरानी झुग्गियों को तोड़ दिया था।
इतना ही नहीं, इस इलाके में ऐसी और कई छोटी बड़ी झुग्गियों को तहस नहस कर दिया गया है। लेकिन गरीब परिवारों के लिए पुनर्वास का कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
अब ठंड का मौसम आ गया है लेकिन आज भी तोड़ी गयी झुग्गियों में रहने वाले परिवार सड़क किनारे रहने को मज़बूर हैं।
अब सवाल यह है कि क्या अब दिल्ली सरकार सड़क किनारे तिरपाल लगा कर रहने को मज़बूर इन गरीब परिवारों के घरों को नई झुग्गियों के नाम पर हटा देगी ?
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