पंजाब में सीलिंग के ऊपर ज़मीन बांटने की मांग लेकर जुटे हज़ारों दलित भूमिहीन मज़दूर
पंजाब में एक तरफ़ चुनाव की गहमागहमी है दूसरी तरफ़ राज्य में दलित मुख्यमंत्री होने के बावजूद लंबे समय से भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों दलितों की ज़मीन बांटने की मांग को लेकर किसी पार्टी की ओर से कोई गंभीर प्रयास और यहां तक वायदा तक नहीं दिख रहा है।
लेकिन भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों और दलितों को संगठित करने वाले संगठन लगातार इस बात को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। गुरुवार को पंजाब के संगरूर में रैदास जयंती के उलक्ष्य में एक सम्मेलन कर सीलिंग के ऊपर की ज़मीन बांटने की मांग को ज़ोर शोर से उठाया गया।
पंजाब के चुनावी दौरे पर पहुंची वर्कर्स यूनिटी टीम के सदस्य रितिक जावला के अनुसार, ज़मीन प्राप्ति संघर्ष समिति (ज़ेडपीएससी- ZPSC) के नेतृत्व में गुरु रैदास के प्रकाश पर्व को समर्पित बेगमपुरा सम्मेलन में राज्य के कोने कोने से हजारों दलित, भूमिहीन खेतिहर मज़दूर इकट्ठा हुए। सम्मेलन में सीलिंग एक्ट से फ़ाज़िल ज़मीन को भूमिहीन मेहनतकशों और छोटे किसानों के बीच बांटने की मांग को पुरज़ोर तरीके से उठाया गया।
उल्लेखनीय है कि राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री चन्नी को जब इस पद पर बैठाया गया तो उन्होंने सीलिंग से ऊपर की ज़मीन का हिसाब तुरंत जमा करने का आदेश जारी कर दिया। पेंडू मज़दूर यूनियन के नेता तरसेम पीटर कहते हैं कि “इस आदेश की अभी स्याही भी नहीं सूखी थी कि ये आदेश वापस ले लिया गया।”
बेगमपुरा सम्मेलन संगरूर के भवानीगढ़ में आयोजित था। ज़मीन प्राप्ति संघर्ष समिति के जोनल अध्यक्ष मुकेश मलौद और पेंडू मज़दूर यूनियन पंजाब के अध्यक्ष तरसेम पीटर ने कहा सम्मेलन में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि “देश में दो दो बार भूमि सुधार कानून लाए गए लेकिन दलितों को उनका हक फिर भी नहीं मिल सका। पूरे देश में ही वर्तमान भूमि सुधार कार्यक्रम और कानून में कई कमियां हैं और इसे सुधारे बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता।”
ZPSC के जोनल सचिव परमजीत कौर लोंगोवाल और बिक्कर सिंह हथोआ ने कहा कि ‘गुरु रैदास द्वारा ली गई बेगमपुरा की संकल्पना आज भी पूरी नहीं हो पाई है। आज भी उत्पादन के साधनों में बहुत बड़ा विभाजन है और आज भी दलित जातिगत भेदभाव के कारण उत्पीड़ित है।’
धर्मवीर हरिगढ़ और धर्मपाल नूरखेड़ी ने कहा कि गुरु रैदास के बेगमपुरा की स्थापना के लिए भूमिहीन और छोटे किसानों के बीच सीलिंग से ऊपर की ज़मीन के बंटवारे और भूमि आवंटन के लिए संघर्ष शुरू किया जाएगा।
दिलचस्प बात ये थी कि भूमिहीन मज़दूरों के इस सम्मेलन में औद्योगिक मज़दूर यूनियनों ने बढ़चढ़ कर समर्थन दिया और इसके लिए मजदूरों के संघर्ष में विभिन्न प्रकार से योगदान देने वालों को विशेष सम्मान दिया गया।
इस मौके पर प्रगति कला मंच फिल्लौर द्वारा नाटक ‘ऐसा चाहूं राज मैं’ प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में गुरविंदर बूरन, जसवंत खीरी, जगतार तोलेवाल, गुरप्रीत चन्ना, जसवंत दुल्लर, गुरचरण सिंह घराचो, छिन्दर कौर हरिके, माखन सिंह साधिरी, सतगुरु रायधराना, रणधीर सिंह रायपुर, जसवंत सिंह देहला और अवतार सिंह वल्दकलां ने भी सभा को संबोधित किया।
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