दिल्ली में ट्रेड यूनियों का तीन दिवसीय महापड़ाव आज से
नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 24 अगस्त को आयोजित अखिल भारतीय मजदूरों और किसानों के संयुक्त सम्मेलन में ये फैसला लिया गया की 26 से 28 नवंबर तक किसानों-मज़दूरों के तीन दिवसीय महापड़ाव का आयोजन किया जायेगा.
सम्मलेन के बाद प्रेस रिलीज जारी करते हुए आयोजकों ने बताया की:-
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रतीक राजभवनों पर महापड़ाव का आह्वान श्रमिकों और किसानों की मांगों पर जोर देने के लिए है कृषि पर तीन कानून वापस ले लिए गए, लेकिन किसानों की सभी मांगों पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया. साथ ही श्रमिकों के मामले में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद चार श्रम संहिताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है.
प्राकृतिक संसाधनों, राष्ट्रीय संपत्तियों और बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के तेजी से निजीकरण और बिक्री को आगे बढ़ाया जा रहा है. सरकार भारतीय और विदेशी ब्रांड के कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए दिन-रात काम कर रही है.
आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है, नौकरियाँ खत्म होने के साथ-साथ वेतन मंदी भी जारी है, किसानों की अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को इनकार कर दिया है जबकि कृषि की इनपुट लागत बढ़ रही है.प्रतिगामी विद्युत संशोधन विधेयक, जो समाज के सभी वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, यूनियनों और किसानों के गंभीर विरोध के बावजूद भी आगे बढ़ाया जा रहा है.
विभिन्न संगठनों से जुड़े नेताओं ने बताया की ” केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र क्षेत्रीय फेडरशनों/अस्सोसिएशनों और संयुक्त किसान मोर्चा के मंच ने 24 अगस्त 2023 को संयुक्त रूप से मांगों को अपनाया था, इसके लिए अभियान चलाया और आज कार्रवाई शुरू की. कार्यक्रम पांच चुनावी राज्यों को छोड़कर पूरे भारत में आयोजित किए जा रहे हैं”.
इस महापड़ाव के दौरान इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित कई और स्वतंत्र क्षेत्रीय फेडरशनों/अस्सोसिएशनों भी शामिल होंगे.
( जारी प्रेस रिलीज के आधार पर)
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