यूपी : दलित युवक द्वारा मजदूरी मांगने पर दबंगों ने पीट-पीट कर मार डाला

यूपी : दलित युवक द्वारा मजदूरी मांगने पर दबंगों ने पीट-पीट कर मार डाला

यूपी के सुल्तानपुर के अखंडनगर थाना क्षेत्र में दलित मजदूर द्वारा मात्र चार दिन की दिहाड़ी मांगने पर उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई.

दलित युवक विनय कुमार बकाया दिहाड़ी लेने गया था. मुख्य आरोपी दिग्विजय यादव व उसके साथियों द्वारा गांव के बाहर ट्यूवेल पर बर्बरता से पिटाई की गयी जिसके बाद वो पिटाई से बेहोश हो गया. बेहोश विनय को बाद में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा दिया गया ,जहाँ थोड़ी देर में ही उसकी मौत हो गयी.

घटना 25 अगस्त 2023 की बताई जा रही है. मृत विनय के पिता ने बताया कि “मेरा छोटा बेटा विनय मात्र 18 साल का था. उसने अभी जल्दी ही काम करना शुरू किया था. वह पिछले कुछ दिनों से दिग्विजय यादव के लिए काम कर रहा था. अपनी मज़दूरी मांगने पर मेरे बेटे को दिग्विजय और उसके साथियों ने घेर कर मार डाला.”

घटना के बाद जब विनय के परिवार वालों ने थाने में मामले को दर्ज कराने की कोशिश की तो उन्हें भगा दिया गया. बाद में स्थानीय दलित समुदाय के लोग थाने गये और एफआईआर लिखने के लिए दबाव बनाया तब जाकर एफआईआर लिखी गई.

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वही पुलिस का कहना है की ‘मुख्य आरोपी पकड़ा गया है और उसके बाकी साथी फिलहाल फरार हैं. उन्हें भी जल्द पकड़ा जायेगा’.
हालिया ख़बरों पर नज़र दौड़ाई जाये तो देखने को मिलता है की दलितों पर अत्याचार की घटनाओं में बाढ़ सी आ गयी है.आंकड़े भी यही कहानी दुहराते हैं.

मार्च 2023 में भारत सरकार ने संसद को सूचित करते हुए बताया कि ‘2018 से लेकर अगले 4 सालों के बीच दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के क़रीब 1.9 लाख मामले दर्ज किए गए हैं’.

नेशनल क्राईम रिकार्ड्स ब्यूरो के अनुसार अकेले उत्तर प्रदेश में दलितों पर हमले के क़रीब 49,613 मामले दर्ज किए गए हैं. 2018 में 11,924, 2019 में 11,829, 2020 में 12,714 और 2021 में 13,146 मामले दर्ज किये गये थे.

आंकड़ों के अनुसार भारत में सिर्फ़ 4 सालों में दलित समुदाय के ख़िलाफ़ अपराध के क़रीब 1,89,945 मामले दर्ज हुए हैं. जो की 2018 में 42,793, 2019 में 45,961, 2020 में 50,291 और 2021 में 50,900 रहे हैं. इन सब मामलों को मिलाकर क़रीब 1,50,454 मामलों में चार्जशीट दायर की गई, जिसके बाद सिर्फ़ 27,754 मुक़दमे दर्ज किए गए. बहुत सारे मामले तो पुलिस द्वारा लिखे ही नहीं जाते हैं या डर के मारे गरीब आदमी न्याय की उम्मीद छोड़ देता है.

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Abhinav Kumar

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