अमेरिका की दोहरी नीति : इजराइल को हथियार की सप्लाई, गाजा में प्लेन से खाने के पैकेट गिरा रहा अमेरिका
पिछले लगभग 4 महीनों से जारी इजराइल और हमास के हिंसक संघर्ष ने गाजा पट्टी के हालात को बद से बदत्तर बना दिया है. फलीस्तीनी लोग रोटी के टुकड़े-टुकड़े को तरस रहे हैं. आसमान से गिर रहे बमों से बचे लोग भूख से मरने को मज़बूर हैं.
बमबारी से बचे खुचे अस्पतालों में डीहाइड्रेशन और कुपोषण के कारण बच्चे दम तोड़ रहे हैं. महिलाओं की हालत बहुत दयनीय है. लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं. इजराइली के हमले में हर 10 मिनट में एक फलीस्तीनी बच्चे की मौत हो रही है.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र और डब्लूएचओ जैसे संगठनों ने भी गाजा की दयनीय स्थिति को रेखांकित किया है. संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि उत्तरी गाजा में इन दिनों अकाल के हालात हैं. गाजा के लोग भुखमरी के कगार पर है.
लगातार फिलीस्तीनियों की मौत को लेकर यद्यपि इजराइल पर दबाव बन रहा है लेकिन अभी तक युद्ध विराम के लिए किसी समझौते पर पहुंचने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इजराइल गाजा पट्टी में युद्ध अपराध कर रहा है लेकिन हैरानी की बात यह है कि पूरी दुनिया कोरी बयानबाजी कर दूर से तमाशा देख रही है.
अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देश जो खुद को मानवाधिकारों का पैरोकार मानते हैं और समय-समय पर उनके यहां की मानवाधिकार परिषदें अन्य देशों में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की पूर्वाग्रह से ग्रसित रिपोर्टें जारी करती रहती हैं. लेकिन फलीस्तीन के मुद्दे पर मुर्दा चुप्पी साधे बैठी हुई है.
वहीं, इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम पर बातचीत फेल होने के बाद गाजा की स्थिति और भी ज्यादा भयावह होने की आशंका है. लेकिन, इस बीच बाइडेन प्रशासन के डबल गेम पर लोग सवाल उठा रहे हैं.
विषेशज्ञों का भी कहना है कि अमेरिका की यह कैसी नीति है, कि एक तरफ वो इजराइल को ना तो युद्धविराम के लिए तैयार कर पा रहा है, और ना हथियारों की सप्लाई रोक रहा है, बल्कि दूसरी तरफ बाइडेन प्रशासन गाजा पट्टी में हवाई जहाज से खाने के पैकेट गिरा रहा है, जो ढोंग के अलावा और कुछ नहीं है.
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो दिन पहले कहा था, कि गाजा पट्टी में मानवीय सहायता लेते वक्त इजराइली सेना की गोलीबारी में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद, अमेरिका हवाई जहाज से गाजा पट्टी में खाने के सामान गिराएगा.
अमेरिका की दोहरी नीति
बाइडेन की घोषणा के बाद अमेरिका ने गाजा पट्टी में हवाई जहाज से खाने के सामान गिराए हैं. लेकिन, भारतीय एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने बाइडेन के इस फैसले पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
भारत के विदेश नीति एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट करते हुए कहा है, कि “अमेरिका एक तरफ गाजा पट्टी में मानवीय मदद (खाने के सामान) एयरड्रॉप कर रहा है, जबकि वह गाजा पट्टी में विनाशकारी विनाश जारी रखने के लिए इजराइल को सैन्य सहायता और हथियार लगातार भेज रहा है, जो एक विचित्र दृश्य बनाता है. विमानों से सहायता गिराना (भोजन पहुंचाने का एक अकुशल, अपर्याप्त और बेकार तरीका) बाइडेन की तरफ से सिर्फ एक पीआर अभ्यास है.”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था, कि “आने वाले दिनों में हम जॉर्डन में अपने दोस्तों और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने जा रहे हैं, जो अतिरिक्त भोजन और राहत सामग्री की हवाई जहाज से सप्लाई करेगा. इसके अलावा, समुद्री रास्ते से भी ह्यूमन कॉरिडोर खोलने की कोशिश की जाएगी.”
लेकिन हकीकत ये है कि इजराइल ने युद्धविराम और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अभी तक इनकार ही किया है. दूसरी तरफ अमेरिका अभी भी इजराइल को हथियारों की सप्लाई कर रहा है.
दरअसल इजराइल-हमास जंग का असर अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों पर भी पड़ रहा है. यह आरोप लगाया जा रहा है कि अमेरिका चुनावी लाभ के लिए पश्चिम एशिया में आक्रामकता दिखा रहा है. अमेरिका दुनिया में अपने वर्चस्व को बचाने तथा देश में चुनावों से पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन की छवि चमकाने के लिए इराक और सीरिया के खिलाफ भी आक्रामकता दिखा रहा है.
एक्सपर्ट्स का कहना है,कि गाजा पट्टी में बाइडेन प्रशासन ने इसलिए खाने के सामान गिराने शुरू किए हैं, ताकि वो अमेरिकी अरब मुस्लिमों का गुस्सा शांत कर सकें, जिन्होंने चुनाव में बाइडेन को बॉयकॉट करने का फैसला किया है.
अगर अमेरिकी मुसलमान वोटर्स, बाइडेन का बहिष्कार करते हैं, तो पहले से ही कम रेटिंग का सामना कर रहे बाइडेन के लिए डोनाल्ड ट्रंप को हराना काफी मुश्किल हो जाएगा.
अमेरिकी वायु सेना ने 30,000 से ज्यादा भोजन के पैकेट पैराशूट से गाजा पट्टी में गिराए हैं, लेकिन सहायता एजेंसियों ने कहा है, कि सैन्य एयरलिफ्ट से मानवीय मदद नहीं पहुंचाई जा सकती है. इसके बजाय, सहायता एजेंसियां चाहती हैं, कि इजराइल ज्यादा से ज्यादा सहायता ट्रकों को जमीनी मार्ग होते हुए गाजा पट्टी में जाने की इजाजत दे.
सहायता एजेंसियों का कहना है, कि हजार से ज्यादा ट्रकों को अगर जाने की इजाजत दी गई, तभी थोड़ी बहुत राहत आम लोगों को मिल पाएगी.
इजराइल को कितना हथियार देता है अमेरिका?
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के हथियार ट्रांसफर डेटाबेस के अनुसार, 2013 से 2022 के बीच इजराइल के हथियारों का 68 प्रतिशत आयात अमेरिका से हुआ. अमेरिकी सेना भी इजराइल में हथियारों का भंडार रखती है, शायद अमेरिकी सेना खुद कभी उनका इस्तेमाल कर सके.
इसके साथ ही ये आधिकारिक खबर है कि अमेरिका ने गाजा युद्ध के दौरान इजराइल को इनमें से कई हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है.
अमेरिका का कहना है कि इजराइल के पास अपनी रक्षा का अधिकार है. पिछले महीने अमेरिका ने गाजा में इजराइली युद्ध को समर्थन देने के लिए 14 अरब डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी है.
पिछले साल अक्टूबर में युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका ने लगातार इजराइल को हथियारों की आपूर्ति की है और सैन्य सहायता के लिए 3 अरब डॉलर के स्पेशल पैकेज की भी घोषणा की है.
अमेरिका के अलावा कई अन्य देश भी हथियारों की बिक्री के माध्यम से इज़राइल को सैन्य सहायता प्रदान कर रहे हैं. लिहाजा, गाजा पट्टी को लेकर अमेरिकी नीति सवालों के घेरे में है और पूछा जा रहा है, कि क्या गाजा पट्टी को लेकर बाइडेन प्रशासन की जो नीति है, क्या उसे डबल गेम नहीं कहा जा सकता है.
डेढ़ लाख से ज्यादा फिलीस्तीनियों के मौत का जिम्मेदार कौन
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने अमेरिका पर अन्तर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने और “पश्चिम एशिया में अराजकता और विनाश के बीज बोने” का आरोप लगाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि ‘अमेरिका और उसके सहयोगियों की हिंसा फिलीस्तीनी क्षेत्रों से लेकर लेबनान, लाल सागर और यमन तक बढ़ गई है और यह “पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को विफल कर रही है.”
रूसी राजदूत ने दावा किया कि ‘अमेरिका मौजूदा अमेरिकी प्रशासन की छवि को सही ठहराने के लिए आगामी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपने चुनाव प्रचार अभियान के तहत अपनी ताकत दिखाने का प्रयास कर रहा है.’
युद्धरत देशों पर संयुक्त राष्ट्र का कोई अंकुश नहीं है। विश्व शांति का राग अलापने वाले बड़े देश ही युद्ध की आग काे भड़का रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठने लाज़मी है कि बीते सालों में डेढ़ लाख से ज्यादा फिलीस्तीनियों को क्याें मार दिया गया? उनमें करीब 35 हजार बच्चों का कत्लेआम क्यों किया गया?
( इंडिया न्यूज़ की खबर इनपुट के साथ)
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