सुधा भारद्वाज की रिहाई के हैं पर्याप्त सुबूत,जेल में रखना मानवाधिकार का हनन

सुधा भारद्वाज की रिहाई के हैं पर्याप्त सुबूत,जेल में रखना मानवाधिकार का हनन

अमेरिकी फॉरेंसिक रिपोर्ट सुधा भारद्वाज को रिहा करने के लिए पर्याप्त सुबूत
अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन सिविकस ने की रिहाई की मांग

दुनिया भर में नागरिक कार्रवाई और नागरिकों को मजबूत करने के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन सिविकस, ने सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को तत्काल रिहा करने की मांग की है।

सुधा को 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट, यूएपीए के तहत और प्रतिबंधित माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध रखने के आरोप में अरेस्ट किया गया था।

काउंटरव्यूडॉटनेट के मुताबिक, सिविकस ने कहा कि अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक का यह दावा कि एक्टिविस्ट रोना विल्सन के लैपटॉप में छेडछाड की गई थी, सुधा भारद्वाज को रिहा करने के लिए पर्याप्त सुबूत है।

उसने कहा कि भारत सरकार को सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ चल रहा केस भी बंद कर देना चाहिए ।

2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद लेखक रोना विल्सन के साथ 3 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिनमें सुधा भारद्वाज, वकील अरुण फरेरा और कवि वरवरा राव शामिल थे।

कोरेगांव में साल 2018 में दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा हुई थी। इस दिन को दलित पराकर्म दिवस के रुप में मनाते हैं।

सिविकस ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता को अरेस्ट में रखे हुए लगभग नौ सौ दिन बीत चुके हैं, वह डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारी की मरीज हैं।

गौरतलब है कि कोविड 19 के दौर में बीमारी के आधार पर सुधा भारद्वाज की जमानत की मांग को खारिज कर दिया गया था। नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी( एनआईए) ने दलील दी थी कि सामाजिक कार्यकर्ता की बीमारी गंभीर नहीं है।

उन्हें अगस्त 2018 में पहले उनके घर में ही नजरबंद किया गया था, बाद में उसी साल अक्टूबर में मुंबई की महिला जेल भेज दिया गया था।

59 साल की सुधा भारद्वाज को जेल में अखबार और किताबें पढने की भी मनाही हैं।
पिछले महीने एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने उन्हें महीने में जेल में बाहर से पांच किताबें मंगाने की इजाजत दी लेकिन जज ने यह भी आदेश दिया कि सुधा को किताबें सौंपने से पहले उन किताबों की ठीक से जांच की जाए ।

उनकी बेटी मायषा के मुताबिक, मेरी मां को दो साल से बिना ट्रायल के जेल में रखा गया है, मुझे उनकी हेल्थ की चिंता है, मैं सरकार से मांग करती हूं कि जब तक उनका केस कोर्ट में नहीं आता, उनको तत्काल रिहा करने का आदेश दिया जाए।

जनवरी में मानवाधिकार ऑफिस ने भी भीमा कोरेगांव समेत अन्य मामलों में अरेस्ट किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लेकर चिंता जताई थी। उसने केंद्र सरकार से उनकी तत्काल रिहाई की मांग भी की थी ।

सिविकस दुनिया के 175 देशों में काम करता है और इसके नौ हजार सदस्य हैं।

(अनुवादक:दीपक भारती)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Abhinav Kumar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.