सेंचुरी मिल के बाहर मेधा पाटकर सहित मजदूरों का धरना, वीआरएस के विरोध में चल रहा सत्याग्रह आंदोलन
मुंबई-आगरा राजमार्ग की बंद पड़े कारखाना सेंचुरी यार्न के खिलाफ अपने अधिकारों को लेकर मजदूरों द्वारा सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा है।
कंपनी द्वारा जबरदस्ती स्वैच्छिक वीआरएस देकर मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। जिससे आक्रोशित मजदूरों द्वारा समाजसेवी मेधा पाटकर के नेतृत्व में धरना देकर प्रदर्शन किया जा रहा है।
मजदूरों का साफ तौर पर कहना है कि उनकी एक ही मांग है कि उन्हें रोजगार मिले वीआरएस नहीं। वे किसी भी कीमत पर पैसा नहीं लेंगे।
गौरतलब है कि कंपनी प्रबंधन ने कहा था कि मंगलवार (13 जुलाई) स्वेच्छिक वीआरएस लेने का अंतिम दिन है। । जो श्रमिक वीआरएस को स्वीकार करेंगे, उन्हें 60 दिन की राशि का भुगतान किया जाएगा। वहीं इसके बाद 15 दिन की वीआरएस राशि खातों में डाली जाएगी।
मुंबई-आगरा राजमार्ग की बंद पड़े कारखाना सेंचुरी यार्न डेनिम के श्रमिक और कर्मचारियों के वीआरएस (स्वेच्छिक सेवानिवृत्त) को लेकर अब मामला कंपनी के मुख्य प्रबंधन डालमिया के घर तक पहुंच गया। शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की मुख्य सूत्रधार
गौरतलब है कि बीते दिनों मेधा पाटकर के नेतृत्व में मजदूरों ने मुंबई स्थित कंपनी के मुख्य प्रबंधन डालमिया के निवास पर हुंकार भरी। जिन्हें गिरफ्तारी के बाद छोड़ दिया गया।
इस दौरान मेधा पाटकर ने कहा कि सेंचुरी के श्रमिक अपने अधिकारों के लिए 44 महीनों से सत्याग्रह कर संघर्ष कर रहे है और औद्योगिक ट्रिब्यूनल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सर्वोच्च अदालत के आदेशों से मिल बंद रखी गई तो भी वेतन लिया और अपना हक पाया।
उन्होंने आगे कहा कि सेंचुरी कंपनी को घाटे में धकेल कर कुमार मंगलम बिड़ला समूह ने मिल को बेचने फर्जी बिक्री पत्र तैयार कर धोखा किया, जो ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के आदेश से खारिज हो चुका है। घाटे में चल रही मिल को सेंधवा एक उद्योगपति को बेचा है। जिसके चलते श्रमिकों ने पिछले दिनों सेंधवा पहुंचकर प्रदर्शन किया था।
सेंचुरी के मजदूरों के आंदोलन और मांगों के समर्थन में मेधा पाटकर 24 घंटे का उपवास भी रख चुकी हैं।
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