झारखण्ड के मज़दूरों को तमिलनाडु में बनाया गया बंधक, रिहाई के बदले मांगे जा रहे पैसे
झारखण्ड के दुमका जिले के 11 मजदूरों को तमिलनाडु में बंधक बना लिया गया है।
बंधक बनाने वालों ने मज़दूरों के रिहाई के बदले उनके परिवार वालों से रुपयों की मांग भी की है।
इस संबंध में मजदूरों के परिजिनों ने पुलिस के पास शिकायत की है और अपनों की वापसी कराने की मांग की है।
जानकारी के अनुसार दुमका के सभी मजदूर तमिलनाडु में एक कपड़ा के मील में काम करने गए थे।
जहां मजदूरों को बंधक बना लिया गया है और उनसे रुपये की मांग की जा रही है। साथ ही परिजनों ने बताया कि उन मज़दूरों के साथ के साथ वहां मारपीट भी की जा रही है। इसकी सूचना मजदूरों ने खुद फोन पर दी है।
मामला रविवार को तब प्रकाश में आया जब एक परिवार द्वारा ऑनलाइन 15 हजार रुपये भेज दिए जाने के बाद भी मज़दूर को रिहा नहीं किया गया।
जिसके बाद परिजनों ने रविवार को दुमका एसपी पीताम्बर सिंह खेरवार से मिलकर सारी बात बताई है।
मज़दूरों के परिवारजनों ने आवेदन के माध्यम से बताया कि तमिलनाडु में बंधक बनाए गए लोगों में दीपक पहाड़िया, शंकर पहाड़िया, राजू पहाड़िया, नोरेन सोरेन, जोगेश सोरेन, मुंशी मुर्मू और राजकिशोर पहाड़िया है।
दरअसल सभी मजदूर चार दिन पहले काम करने तमिलनाडु गए थे। रविवार की सुबह वह तमिलनाडु पहुंचे ही थे और चंद घंटे के बाद उन्होंने अपने परिजनों को फोन किया कि ‘हमें बंधक बना लिया गया है’।
‘हमें यह नहीं पता चल पा रहा है कि हम कहां हैं। ये लोग हमारे साथ मारपीट कर रहे हैं और पैसे मांग रहे हैं’।
बंधक बनाने वाले लोगों ने दुमका में उनके परिवार वालों को एक मोबाइल नंबर दिया और कहा कि तुम लोग इसमें रुपये भेजो।
जब तक रुपये नहीं मिलेंगे, तब तक ये सभी हमारे कब्जे में रहेंगे। धमकी मिलने के बाद दीपक पहाड़िया के परिजनों ने दिए हुए मोबाइल नंबर पर 15 हजार रुपये भेज भी दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी दीपक को नहीं छोड़ा गया।
दुमका एसपी पीताम्बर सिंह खेरवार ने कहा कि ‘ घबराने की जरूरत नहीं है। पुलिस ने अपनी करवाई शुरू कर दी है और मज़दूर एक-दो दिनों में अपने घर पर होंगे”।
उन्होंने बताया ‘ हम तमिलनाडु के पुलिस प्रशासन और श्रम विभाग की मदद से स्थानीय एनजीओ के संपर्क में हैं और मज़दूर जल्द ही अपने घर पर होंगे’।
- मनरेगा में खटते खटते मर गई पत्नी, मरने के बाद भी नहीं मिली मज़दूरी- ग्राउंड रिपोर्ट
- फ़लस्तीन और इज़राइल का मज़दूर वर्ग
- मौत से लड़ते कटे टनल के वो सात घंटे, उत्तराखंड हादसे में बचे कर्मियों की आपबीती
- “हम मर जायेंगे लेकिन वेदांता को अपनी 1 इंच भी जमीन खनन के लिए नहीं देंगे” – ओडिशा बॉक्साइट खनन
- विश्व आदिवासी दिवस: रामराज्य के ‘ठेकेदारों’ को जल जंगल ज़मीन में दिख रही ‘सोने की लंका’
- “फैक्ट्री बेच मोदी सरकार उत्तराखंड में भुतहा गावों की संख्या और बढ़ा देगी “- आईएमपीसीएल विनिवेश
- “किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले भगवंत मान आज क्यों हैं चुप “
- ओडिशा पुलिस द्वारा सालिया साही के आदिवासी झुग्गीवासियों पर दमन के खिलाफ प्रदर्शन पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।