स्विफ्ट सिक्योरिटी सर्विस ने तीन माह से मज़दूरों को नहीं दिया है वेतन, रोजाना 12 घंटे कराया जाता है काम
ग़ाज़ियाबाद के विंडसर पार्क में सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले लगभग 100 मज़दूरों को 3 माह से वेतन नहीं मिला है। ये सभी गार्डस स्विफ्ट सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के तरफ से यहां काम करते हैं।
अब अपने हक को पाने के लिए ये लोग पिछले 4 दिन से विंडसर पार्क के बाहर धरने पर बैठे हैं।
इन लोगों से रोजाना यहां 12 घंटे काम कराया जाता है। लेकिन इन्हें तीन माह से वेतन नहीं दिया गया है। और कब वेतन दिया जाएगा इस बारे इन्हें भी नहीं पता है।
एक अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इन गार्डस की मदद न तो उनकी कंपनी कर रही है और न ही विंडसर सोसाइटी के लोग। इन लोगों की आर्थिक स्थिती बद से बदतर होती जा रही है।
मज़दूरों का आरोप है कि “वे जब भी वेतन मांगने के लिए अपने ठेकेदार को फ़ोन करते हैं तो वो फ़ोन का कोई ज़वाब नहीं देते हैं। ”
ये लोग तीन महिनों से लगातार बिना वेतन के यहां काम कर रहे हैं। कई मज़दूर फफक-फफक के रोने लगे और कहने लगे “हमें तीन माह से वेतन नहीं मिला है। मकान मालिक घर से निकाल रहा है। घर में छोटे- छोटे बच्चे हैं भूखे मरने की नौबत आ गई है। अगर कुछ दिन और वेतन न मिला तो फांसी लगानी पड़ेगी।”
राजकुमार नाम के एक मज़दूर ने बताया कि “हम ने सोसाइटी के लोगों से मदद मांगी पर किसी
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रोजाना 12 घंटे कराया जाता है काम
ने कोई भी मदद नहीं की। प्रबंधन फ़ोन का कोई जवाब नहीं दे रहा है। अब तो मकान मालिक भी किराए के लिए रोजाना गाली देता है। ”
रेनू नाम की एक महिला मज़दूर ने कहा “हम अपने परिवार को छोड़ के रोजाना यहां 12 घंटे पूरी इमानदारी के साथ काम करते हैं।पर इस इमानदारी का इनाम ये है कि हमें 3 माह से वेतन नहीं दिया गया है। किराए का कमरा लेकर रहते हैं। मकान मालिक रोजाना घर खाली कराने की धमकी देता है”।
ये लोग पूंजीपतियों की सुरक्षा करने में दिन रात लगे रहते हैं पर इनकी सुरक्षा की बात आई तो पूजीपतियों ने हाथ खड़ा कर दिया।
गौरतलब है 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि, किसी भी कर्मचारी का वेतन कोई भी नियोक्ता न काटे। पर यहां पर तो कई कंपनियां लॉकडाउन के पहले का वेतन मज़दूरों को नहीं दे रही है।
हालांकि सरकार अब अपने ही किए हुए वादे से मुकर गई है। 4 जून को वेतन को लेकर सुनवाई के दौरान सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस वादे से पीछे हट गई।
सरकार का तर्क था कि, ‘जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, तब कर्मचारियों के काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृहराज्यों की ओर पलायन करने से रोकने की मंशा के तहत अधिसूचना जारी की गई थी। लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी।’
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