‘इस कारनामे के बाद मोदी सरकार के 2019 में आने के चांस न के बराबर हो गए’
दो अक्टूबर यानी गांधी जयंदी के मौके पर दिल्ली के बॉर्डर पर ली गई ये तस्वीर वायरल हो रही है।
इसमें एक बुज़ुर्ग व्यक्ति दर्जन भर हथियारबंद पुलिस वालों से लोहा ले रहा है।
फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर ये तस्वीर और इससे जुड़ी तास्वीरों को लाखों की संख्या में शेयर किया जा रहा है।
ये तस्वीर पश्चिम उत्तर प्रदेश के एक बुज़ुर्ग किसान की है जो दो अक्टूबर को किसान क्रांति पद यात्रा में शामिल था और यूपी और दिल्ली की सीमा पर जब हज़ारों किसान अपनी रैली के साथ दिल्ली में प्रवेश करने जा रहे थे तो पुलिस और सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की।
Is this the #India #Gandhiji dreamt of and died for? The #police is using #WaterCanons and tear gas on the poor protesting #farmers on the Delhi-UP border. What kind of #Democracy are we living in? pic.twitter.com/ZoSs2JIcIQ
— DrSidKhosa_India_Rising (@drsidkhosa) October 2, 2018
किसानों को रोकने के लिए भारी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था।
जैसे ही ये रैली मेरठ, ग़ज़ियाबाद से दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने के लिए गाज़ीपुर के फ्लाईओवर के नीचे पहुंची, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की।
इसके बाद किसानों पर पुलिस ने पानी की तेज़ बौछार झोंक दी, किसान फिर भी डटे रहे, इसके बाद उनपर दर्जनों आंसू गैस के गोले दागे गए।
पुलिस ने लाठी चार्ज किया और हवाई फायरिंग की। इस पूरी घटना में दर्जनों किसान घायल हुए।
ये किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के राजघाट जाना चाह रहे थे, जहां गांधी समाधि के पास
किसान पूरी कर्जमाफ़ी की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही हाल ही में योगी सरकार में बढ़ी बिजली दरों को कम करने के साथ 60 से ऊपर के किसानों को पेंशन दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेतृत्व में किसानों ने उत्तराखंड में पतंजलि से दिल्ली के किसान घाट तक की किसान क्रांति पद यात्रा की घोषणा की थी।
ये किसान 23 सितम्बर से ही मुजफ्फरनगर, दौराला, परतापुर, मोदी नगर, मुरादनगर और हिंडन घाट होते हुए मार्च कर रहे थे।
बीकेयू के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की 11 मांगें थीं, जिनमें सरकार ने सात मान लीं लेकिन चार को खारिज कर दिया।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पत्रकारों से कहा कि किसानों पर पुलिस ने अतिरिक्त बलप्रयोग नहीं किया बल्कि वो अपनी सुरक्षा कर रहे थे। लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें साफ दिख रहा है कि पुलिस बल के जवान दिल्ली मेरठ फ्लाईओवर पर चढ़ कर नीचे किसानों के हुजूम पर आंसू गैस के गोले दाग रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों और जाट समुदाय में अच्छी पैठ रखने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजीत सिंह ने बीकेयू किसानों का समर्थन किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट कर किसानों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि, ‘दिल्ली सबकी है। किसानों को दिल्ली में आने से नहीं रोका जा सकता। किसानों की माँगे जायज़ हैं। उनकी माँगें मानी जायें।’
सोशल मीडिया पर तरह तरह से लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
एमएस स्वामीनाथन ने ट्वीट कर कहा है कि ‘लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। बाद में श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा। इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए किसानों ने अपनी विशाल रैली के लिए गांधी जयंती के दिन को सही ही चुना था।’
दो अक्टूबर को पूरे दिन हैशटैग #farmers और #KisanKranti टॉप ट्रेंड में बना रहा। क्रमशः 6,312 ट्वीट और 4,159 ट्वीट किये गए।
ट्विटर यूज़र्स पुलिसिया कार्रवाई पर काफी नाराज़ दिखे और ‘अन्नदाता को लाठी’, ‘किसानों से इतना प्यार’, ‘अहिंसा दिवस पर सरकारी हिंसा’ जैसी टिप्पणियों के साथ सरकार पर तीखा तंज कसा।
एक यूज़र ने लिखा कि ‘70,000 किसान राजघाट पर प्रदर्शन करने जा रहे थे, आखिर उन्हें प्रदर्शन का हक क्यों नहीं है?’
लाठी चार्ज से बचकर कौशांबी मेट्रो से चढ़ा बिजनौर का एक नौजवान हर्षित ने नाराज़गी जताते हुए वर्कर्स यूनिटी से कहा कि ‘इस कारनामे के बाद मोदी सरकार के 2019 में आने के चांस अब न के बराबर हो चुके हैं।’
हालांकि किसानों और जनता के गुस्से को भांपते हुए सरकार जल्द ही एक्शन में आ गई और कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और गृह मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी की योगी सरकार को सक्रिय किया।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किसान नेताओं से मिलकर बातचीत की। हालांकि गतिरोध कहां तक टूटा अभी ये नहीं पता चल सका है।
लेकिन इतना तो तय है कि सरकार पिछले चाल सालों में जिन किसानों की हितैषी बनने की कोशिश कर रही थी, उसे इस घटना से जोर का झटका लगा है।
किसान वैसे भी कसाईखाने बंद किए जाने से बैल और सांढ़ों की संख्या बढ़ जाने से परेशान हैं। और उत्तर प्रदेश में अंदर ही अंदर किसानों में ये असंतोष का कारण बना हुआ है।
(सारी तस्वीरें सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफार्मों से ली गई हैं।)
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र मीडिया और निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो करें।)