शंकर गुहा नियोगी की याद में शहादत दिवस
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शंकर गुहा नियोगी एक मजदूर नेता थे . उन्होंने दल्ली राजहरा नामक शहर में मजदूरों के बीच काम किया . एक तरफ उन्होंने मजदूरों की मजदूरी और काम के हालात सुधारने के लिए आन्दोलन किये वहीं , मजदूरों के बीच नशा कम करवाने , मजदूरों द्वारा अपनी पत्नियों को पीटने के विरुद्ध भी काम किया . शंकर गुहा नियोगी नें ‘ संघर्ष और निर्माण ‘ एक साथ का मशहूर नारा दिया था . शंकर गुहा नियोगी के शानदार काम से प्रभावित होकर अनेकों नौजवान युवा अपना कैरियर छोड़ कर उनकी मदद करने वहाँ आ गये थे . डक्टर इलीना सेन , डक्टर बिनायक सेन , डाक्टर शैबाल जाना उसी दौर के नौजवान थे जो शंकर गुहा नियोगी के मजदूर संगठन के कामों से प्रभावित होकर वहाँ आकर काम कर रहे थे . शंकर गुहा नियोगी नें मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए सरकारी और उद्योगपतियों द्वारा चलाई गयी खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के समाधान के रूप में शहीद अस्पताल की स्थापना करी . डाक्टर शैबाल जाना उस अस्पताल के मुख्य डाक्टर के रूप में वहाँ अपनी सेवाएं देने लगे . १९९१ में उद्योगपतियों नें शंकर गुहा नियोगी की हत्या करवा दी . इसके एक साल बाद भिलाई में १ जुलाई १९९२ को मजदूर एक सभा कर रहे थे . जिस पर पुलिस नें उद्योगपतियों के कहने से गोली चलाई . इस गोलीकांड में सोलह मजदूर मारे गए. और सैंकडों मजदूर घायल हुए . डाक्टर शैबाल जाना नें घायल मजदूरों का शहीद अस्पताल में इलाज किया . सरकार ने मजदूरों का इलाज करने को एक अपराध के रूप में दर्ज़ किया और मुकदमा चलाया . तब से आज तक डाक्टर शैबाल जाना लगातार मुख्य डाक्टर के रूप में अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं .अभी इसी सप्ताह १७ मार्च को छत्तीसगढ़ पुलिस नें डाक्टर शैबाल जाना को गिरफ्तार कर के जेल में डाल दिया है . पुलिस नें कहा है कि डाक्टर शैबाल जाना अभी तक ‘ फरार ‘ थे. जबकि डाक्टर जाना लगातार अस्पताल में मजदूरों का इलाज कर रहे हैं . देश भर के बुद्धिजीवियों , मजदूर अधिकार कार्यकर्ताओं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं नें डाक्टर शैबाल जाना की गिरफ्तारी की निंदा करी है . डाक्टर शैबाल जाना की गिरफ्तारी एक सन्देश है जो सरकार गरीबों की सेवा करने वालों को देना चाहती है . कि अब अमीरों के हितों के विरुद्ध काम करना ही राष्ट्रद्रोह है . गरीबों का काम करना अब एक अपराध है . सरकार के अत्याचारों के मामलों में पीड़ित का साथ देना ही जुर्म है . एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाली सोनी सोरी पर लगातार हमले किये जा रहे हैं . वहीं दूसरी तरफ डाक्टर शैबाल जाना को जेल में डाला गया है . छत्तीसगढ़ में घटने वाली इन दमनकारी घटनाओं के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर कोई चिंता भी नहीं दिखाई देती. जो कि खतरनाक हालात का संकेत हैं . -हिमांशु कुमार