तीन दिन में 100 किमी चली 12 साल की बच्ची, घर से क़रीब पहुंच हुई मौत
तीन दिन में 100 किमी चलने के कारण तेलंगाना में 12 साल की एक बच्ची की मौत हो गयी है। तेलंगाना से बीजापुर लौट रही 12 साल की बच्ची की घर पहुंचने से पहले ही मौत हो गई।
इंडियन एक्स्प्रेस की एक ख़बर के अनुसार, बच्ची 3 दिन पैदल चलते हुए तेलंगाना से गांव के मजदूरों के साथ पहुंची थी।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की सबसे अधिक दुष्प्रभाव मज़दूर वर्ग और उसके परिवार पर पड़ा है। ऐसे ही छत्तीसगढ़ से तेलंगाना कमाने के लिए गए कई मजदूर तीन दिन का पैदल सफर कर बीजापुर पहुंचे।
इनमें 12 साल की बच्ची भी थी। 100 किमी का जंगली रास्तों का सफर तय कर बच्ची अपने गांव पहुंचती इससे पहले ही उसने दम तोड़ दिया। बच्ची की जहां मौत हुई वहां से उसका घर 14 किलोमीटर दूर था।
जमलो मड़कम (12 साल की) एक नाबालिग बच्ची अपने परिवार का पेट भरने के लिए बीजापुर के आदेड गांव से रोजगार की तलाश में तेलंगाना के पेरूर गांव गयी हुई थी।
वहां उन्हें मिर्ची तोड़ने का काम मिला। लाॅकडाउन में काम बंद हो गया, इन्होंने कुछ दिन तो वहीं बिताए।
किसी तरह खाने-पीने का इंतजाम किया। लेकिन लॉकडाउन लंबा खिंचने के बाद इनके सामने रोटी का संकट खड़ा हाे गया, तब 16 अप्रैल को जमलो और गांव के 11 दूसरे लोग तेलंगाना से वापस बीजापुर के लिए पैदल ही निकले।
दूसरे दिन जमलो की तबीयत बिगड़ी, किसी तरह 17 तारीख बीती, यह दल करीब 100 किमी चलकर 18 अप्रैल को मोदकपाल इलाके के भंडारपाल गांव के पास ही पहुंचा था कि जमलो ने दम तोड़ दिया। जमलो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।
जमलो मड़कम से पहले देश के अन्य हिस्सों में कई मजदूरों और उनके मासूम बच्चों ने इसी तरह पैदल चलते हुए सड़क पर दम तोड़ चुके हैं।
(फ़ोटोः साभार इंडियन एक्स्प्रेस)
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