12 दिन, 2000 किलोमीटर का सफर और घर में दाखिल होने के बाद मौत
By आशीष सक्सेना
लॉकडाउन खत्म करने को सरकार ने अनलॉक-1 शुरू कर दिया, लेकिन मजदूरों का घर पहुंचने का सफर अभी भी खत्म नहीं हुआ। ये सफर भी ट्रेन या बस का नहीं, पैदल घर की चौखट तक पहुंचने का है।
ऐसे ही, 12 दिनों में उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले में धनेपुर गांव के रहने वाले 23 वर्षीय सलमान ने बेंगलुरू से 2000 किलोमीटर का सफर किया।
सलमान की घर पहुंचने के एक घंटे बाद ही सांप के काटने से मौत हो गई। वह लंबी यात्रा के बाद फ्रेश होने गए थे, कि जहरीले सांप ने डस लिया।
ईद के एक दिन बाद घर पहुंचे सलमान को देख उनकी मां रुकसान बहुत खुश थीं। सलमान की मौत से वे सदमे में चली गईं। हालत बिगडऩे पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि इलाज के लिए भी घर में पैसे नहीं हैं।
सलमान दिसंबर में नौकरी की तलाश में बेंगलुरु पहुंचे थे। उनको गोंडा के कई दूसरे लोगों के साथ एक निर्माण स्थल पर काम मिला। लॉकडाउन के चलते काम ठप हो गया।
ठेकेदार ने दो महीने का पेमेंट रोक लिया तो सलमान और उनके 10 दोस्तों ने 12 मई को पैदल यात्रा शुरू की और 26 मई को घर पहुंचे। इस सफर में मजदूरों की इस टोली को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पुलिस से बचने को तुंगभद्रा नदी पार करना पड़ी।
सलमान के साथ काम करने वाले कुशाल कुमार बताते हैं, हमारे ठेकेदार ने हमें दो महीने तक भुगतान नहीं किया। हमने ट्रेन से जाने की भी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। इस दौरान कई बार पुलिस की मार से अपमानित हुए। हममें से 10 लोगों तब गोंडा तक पैदल यात्रा शुरू करने का फैसला किया।
कुशाल बताते हैं, जब हम कर्नाटक बॉर्डर पर पहुंचे तो हमने पुलिस से बचने को रेलवे पटरियों के साथ चलना शुरू किया। कई दिनों के बाद हम आंध्र प्रदेश के कुरनूल पहुंचे। फिर तुंगभद्रा नदी पार की।
तेलंगाना और महाराष्ट्र बॉर्डर पार करने में भी जुगत लगाई। पुलिस से बचने को रातभर पैदल चले और मध्यप्रदेश में ट्रकों में सवार होकर उत्तरप्रदेश की में दाखिल हो पाए।
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