दिल्ली सरकारी स्कूलों के 120 शिक्षकों की कोरोना से मौत, शिक्षक यूनियन ने कहा- अनुकंपा नौकरी मिलनी चाहिए
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 संक्रमण से दिल्ली के सरकारी स्कूलों के क़रीब 120 शिक्षकों की मौत हो चुकी है।
गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (जीएसटीए) ने ये दावा किया है जबकि शिक्षा विभाग का अनुमान 92 शिक्षकों की मौत का है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रत्येक जिले के सभी डीडीई (जोन) को उन शिक्षकों के बारे में जानकारी एकत्र करने का काम सौंपा गया है जो ड्यूटी पर थे और जिनकी कोरोनोवायरस से मौत हुई।
दिल्ली शिक्षा विभाग असल में ऐसे शिक्षकों की पहचान कर रहा है ताकि दिल्ली सरकार द्वारा घोषित एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा परिजनों को दिया जा सके।
गौलतलब है कि इन शिक्षकों को वैक्सीन सेंटरों से लेकर कोरोना रोकने के तमाम कामों में लगाया गया था। यहां तक कि अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में लाशें गिनने तक का आदेश जारी कर दिया गया था, जिसका भारी विरोध हुआ और उसके बाद इसे वापस लिया गया।
केजरीवाल सरकार ने ऐसे कर्मचारियों को कोरोना फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित किया था जो महामारी के उफान के दौरान काम करते रहे। ऐसे कर्मचारियों के परिजनों को मुआवज़ा के साथ घर के किसी एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का भी ऐलान किया गया था।
नोडल अधिकारी रामचंद्र सिंघारे के अनुसार, “हमारा लक्ष्य जो कोई भी मुआवज़े के लिए पात्र है उसे देना है। जून के अंत ऐसे पीड़ितों को 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा और उन शिक्षकों के मामले में जो ड्यूटी पर नहीं थे, ुनकी फ़ाइलों को अनुकंपा नियुक्तियों के लिए अग्रसारित करेंगे।”
जीएसटीए के महासचिव अजयवीर यादव का अनुमान है कि अब तक कम से कम 120 शिक्षकों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने कहा, “हमारी संख्या सटीक नहीं है क्योंकि हमारे पास व्यवस्थित डेटा संग्रह प्रणाली नहीं है और यह अधिक होने की संभावना है, लेकिन हमारे ज़िला अधिकारियों ने इन परिवारों से बात की है।”
एसोसिएशन ने उपमुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में भी अनुरोध किया है कि मृतक शिक्षकों के आश्रितों के मामले में जो अनुकंपा नौकरियों के लिए पात्र होने के लिए बहुत छोटे हैं, उन्हें तब तक वेतन प्रदान किया जाए जब तक कि वे पात्र होने के लिए पर्याप्त नहीं हो जाते।
अजयवीर यादव ने कहा कि उन्होंने मनीष सिसौदिया से मृतक शिक्षकों के आश्रितों के लिए नियमों में ढील देने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें आसानी से अनुकंपा नौकरी मिल सके। सभी मृत शिक्षकों के परिजनों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाना चाहिए जिनकी मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई हो।
उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों की उनके घर पर कोरोना से मौत हो गई, उनकी COVID-19 रिपोर्ट नकारात्मक थी लेकिन उसी संक्रमण के कारण उनकी मृत्यु हुई।
“इस मामले में, यह स्थापित करना बहुत कठिन है कि उनकी मृत्यु COVID के कारण हुई। हरियाणा की तरह, दिल्ली में भी, आश्रितों को वेतन जारी रखा जाना चाहिए, जहां मृतक परिवार का एकमात्र कमाने वाला था। ”
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले दिल्ली के तीनों नगर निगमों में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा सामने आया जिसमें पता चला कि क़रीब आधी मौतें सफ़ाई कर्मचारियों की हुई हैं।
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