यूपी में गंगा किनारे 1140 किमी में 2 हजार से ज्यादा शव, लाशों पर मिट्टी डालने में जुटा प्रशासन
उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर से स्थिति भयावह होती जा रही है। श्मशान में टोकन मिलने, अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी की स्थिति से जूझ रहे प्रदेश में अब गंगा नदी के किनारे बड़ी संख्या में शवों के मिलने की खबर से हाहाकार मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि गांवों में कोरोना की वजह से लोगों की मौत हो रही है और लकड़ियों की कमी या अन्य कमियों की वजह से लोग शव को गंगा में प्रवाहित करने को मजबूर हैं। वहीं अब गंगा किनारे रेत में भी शवों को दफन करने की बात सामने आ रही हैं।
इस दौरान दैनिक भास्कर ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि यूपी के 27 जिलों के 1140 किमी की दूरी में दो हजार से ज्यादा शव हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ”कन्नौज, उन्नाव, गाजीपुर और कानुपर में हालात बहुत खराब है। जहां कन्नौज के महादेवी गंगा घाट के पास करीब 350 से ज्यादा शव दफन है। वहीं उन्नाव में शुक्लागंज घाट और बक्सर घाट के पास तकरीबन 900 से ज्यादा लाशें दफन हैं। गाजीपुर में शवों का मिलना जारी है यहां अब तक करीब 280 लाशें मिल चुकी हैं। कानपुर में शेरेश्चवर घाट के पास आधे घंटे के दायरे में ही 400 से ज्यादा लाशें दफन हैं। हालात इतने भयावह हैं कि कुछ जगहों पर लाशों को कुत्ते और चील-कौए नोच रहे थे। प्रशासन उन लाशों पर मिट्टी डालने का काम कर रहा है ताकि कोई देख न सके।”
दरअसल बारिश के बाद रेत में दबे शव बाहर निकल आए हैं। जिसके बाद प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि लोग नदी में शव प्रवाहित न करे बल्कि दाह संस्कार करे। इस मामले को लेकर पूरे देश में विपक्ष भाजपा को घेरना शुरू कर चुका है। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग भाजपा सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा कर चुके हैं।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)