देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे: केंद्र सरकार

देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे: केंद्र सरकार

आजादी के 75 साल बाद भी लगभग 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, केंद्र सरकार द्वारा लोक सभा में पेश आंकड़ों से यह सामने आया है।

यह संख्या आजादी के समय के मुकाबले भी खराब है जब देश में 25 करोड़ लोग गरीब थे। लेकिन आज भी लोग दाने दाने को मोहताज है।

आजतक की खबर के मुताबिक उस वक्त भारत की कुल जनसंख्या का 80 फीसदी हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे था।

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फिलहाल ये आंकड़ा 22 फीसदी के आस पास है। यानी देश में लगभग हर पाँचवा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है।

गौरतलब है कि यह आंकड़े 2011-12 के हैं, क्यूंकि उसके बाद से सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या का हिसाब नहीं लगाया है।

क्या है गरीबी की सरकारी परिभाषा?

सरकार की गरीबी रेखा की परिभाषा के अनुसार अगर कोई गांव में रहते हुए पूरे महीने में 816 रुपए से ज्यादा खर्च करता है और शहर में 1000 रुपए से ज्यादा खर्च करता है, तो उसे गरीबी रेखा से ऊपर माना जाएगा।

इस कमरतोड़ महंगाई के बीच जहां सरकार खाने पीने की चीजों के साथ साथ अनाज पर भी GST लगा रही है, ऐसे हालात में वे लोग जो फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं, उनके परिवार का खर्च भी 1000 रुपए से ज्यादा होगा।

महानगरों में निम्न से निम्न परिस्थिति में रह रहे प्रवासी मजदूरों का सिर्फ किराया ही 3000 से 4000 रुपए तक होता है। इससे कम दाम में अब घर नहीं मिलते हैं।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा गरीबी

आंकड़ों के मुताबिक देश का सबसे गरीब राज्य छत्तीसगढ़ है जहां करीब 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। यानी हर 10 में से 4 लोग गरीब हैं।

छत्तीसगढ़ के बाद अगला नंबर है झारखंड और मणिपुर का, जहां 37 फीसदी जनता गरीब है। अरुणाचल में यह आंकड़ा 35 फीसदी है।

बिहार में 34 फीसदी, ओड़ीशा में 33 फीसदी, जबकि असम और मध्य प्रदेश में 32 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को बाध्य है।

झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल, बिहार, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लगभग 30 फीसदी या उससे ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है।

आंकड़ों के हिसाब से सबसे अच्छे हालात गोवा के हैं जहां सिर्फ 5 फीसदी आबादी गरीब है, उसके बाद है केरल जहां 7 फीसदी जनता गरीबी रेखा से नीचे है और उसके पंजाब और हिमाचल प्रदेश हैं 8 फीसदी के साथ।

दमन और दीव, पॉन्डिचेरी, जम्मू कश्मीर और दिल्ली में यह संख्या 10 फीसदी है।

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Workers Unity Team

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