32 मज़दूरों को 12 वें दिन भी कंपनी में इंट्री नहीं, धरना पर बैठे श्रमिकों की कोई सुनवाई नहीं

32 मज़दूरों को 12 वें दिन भी कंपनी में इंट्री नहीं, धरना पर बैठे श्रमिकों की कोई सुनवाई नहीं

राजस्थान के बहरोड़ औद्योगिक क्षेत्र फेस- 2 स्थित ऑटोनियम इंडिया फैक्ट्री के मज़दूर पिछले 12 दिनों से फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

मज़दूरों ने प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि पिछले दो हफ्तों से प्रबंधन ने 32 श्रमिकों  के लिए फैक्ट्री गेट बंद कर दिया है।

मज़दूरों का कहना है कि इस मसले से उन्होंने राज्य के श्रम मंत्री को भी अवगत कराया लेकिन उनकी बात कही नही सुनी जा रही है।

बीते शनिवार को सीटू के प्रदेश मंत्री राणा मज़दूरों के साथ धरना में शामिल हुए और बताया कि फैक्ट्री मैनेजमेंट ने गैरकानूनी तरीके से चार मज़दूरों को टर्मिनेट कर दिया और दो श्रमिकों को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही दो श्रमिकों के खाते में बिना बताये राशि भी जमा करवा दिया है।

मालूम हो कि इससे पहले फैक्ट्री के वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष जितेंद्र ने बीते 1 मार्च को प्रबंधन के प्रताड़ना से तंग आकर फैक्ट्री गेट पर खुद को आग के हवाले कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी ,जहां साथी मज़दूरों ने समय रहते उनको बचा लिया था।

जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों की मनमानी और उत्पीड़न के खिलाफ मजदूर हड़ताल पर बैठ गए थे। 3 मार्च को जब मज़दूर काम करने के लिए कंपनी गेट पर पहुंचे तो उन्हें अंदर नही आने दिया गया और उनसे बोला गया कि अब उनको काम पर आने की जरूरत नही है।

गेट पर धरने पर बैठे मज़दूरों ने बताया कि फैक्ट्री प्रबंधन अपने अड़ियल रुख पर कायम है। न खुद हमसे बातचीत की कोशिश कर रही न हमारी बात सुन रही।

मज़दूरों का कहना है कि पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के प्रबंधन के साथ वार्ता के बाद भी श्रमिकों को काम पर नही लिया गया।

मज़दूरों ने स्थानीय विधायक सहित श्रम विभाग के अधिकारियों तक भी अपनी समस्या को पहुंचाया है लेकिन कही कोई सुनवाई नही हो रही है।

राणा का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार एक तो सबका साथ ,सबका विकास की बात करती है वही दूसरी तरफ देश के मज़दूरों को विदेशी कंपनियों का गुलाम बनाने पर तुली हुई है। NCR क्षेत्र में जल्द ही रणनीति तैयार कर मज़दूरों को एकत्र किया जाएगा और फैक्ट्री की तानाशाही के खिलाफ लड़ा जाएगा।

मज़दूरों का कहना है कि यदि समय रहते यदि  उनके मामलों का कोई समाधान नही निकाला गया तो श्रमिक कोई बड़ा कदम उठा सकते है और जिसके लिए स्थानीय प्रशासन और श्रम विभाग जिम्मेदार रहेगा।

(दैनिक भास्कर की खबर से साभार)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Abhinav Kumar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.