बांग्लादेश की जूस फ़ैक्ट में भीषण आग से 52 मज़दूरों की मौत, सुरक्षा में लापरवाही फिर बनी कारण

बांग्लादेश की जूस फ़ैक्ट में भीषण आग से 52 मज़दूरों की मौत, सुरक्षा में लापरवाही फिर बनी कारण

ख़राब सुरक्षा बंदोबस्त एक बार फिर बांग्लादेश में मज़दूरों पर कहर बनकर टूट पड़ा। एक जूस फ़ैक्ट्री में भीषण आग लगने से 52 मज़दूरों की मौत हो गई जबकि 50 अन्य बुरी तरह घायल हो गए हैं।

भीषण आगजनी की ये दुर्घटना गुरुवार की शाम पांच बजे शेजान जूस फ़ैक्ट्री में हुई। राहत और बचाव का काम शुक्रवार तक चला। शुक्रवार की सुबह तब कोहराम मचना शुरू हो गया, जब बचे लोगों और रिश्तेदारों ने वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस के साथ झड़प हुई, और उत्तेजित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए।

अधिकांश मज़दूर जलती जूस फ़ैक्ट्री के ऊपरी तलों से सीधे नीचे कूद गए, जिसमें कईयों को गंभीर चोटें लगी हैं।

बीती एक जुलाई को ही मजदूरों ने बकाया  ओवरटाइम और भत्ते की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। बांग्लादेश में अभी तक होने वाली औद्योगिक घटनाओं में सुरक्षा उपायों की बदहाली एक बड़ा कारण रही है।

दो साल पहले ढाका में दो कामर्शियल इमारतों में भीषण आग लगने से कुल 92 लोगों की मौत हुई थी।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, गुरुवार शाम के साढ़े पांच बजे तक नारायणगंज और ढाका से 18 दमकल गाड़ियां आग बुझाने का काम कर रही थीं, जबकि इमारत की चौथी और पाँचवीं मंजिल से अभी भी धुआं निकलने के बीच तलाशी और बचाव अभियान जारी था।

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अख़बार ने फायर सर्विस के उप-निदेशक देबाशीष बर्धन के हवाले से कहा “कई अन्य लोगों के मारे जाने की आशंका है और बचाव अभियान जारी है।”

दमकल अधिकारियों का यह कहना है कि इमारत की तीसरी मंजिल से 49 शव बरामद किए गए थे, जहां अधिकांश मजदूरों ने भाग कर शरण ली थी।

दमकलकर्मियों ने बताया कि आग से बचने के लिए कई लोग इमारत से कूद गए। इनमें से तीन ने गुरुवार देर रात दम तोड़ दिया। इमारत से बाहर आने की कोशिश में 50 से अधिक अन्य मजदूरों भी घायल हो गए।

कंचन फायर सर्विस स्टेशन अधिकारी शाह आलम के अनुसार, 40 वर्षीय मीना अख्तर और 38 वर्षीय स्वप्ना रानी, 24 वर्षीय मुसरालिन की स्थानीय अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई।

बचे लोगों और रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि आग लगने के बाद से सामने का गेट, जो फैक्ट्री परिसर में प्रवेश करने और बाहर जाने का एकमात्र रास्ता है, उसे बंद कर दिया गया था।

जब ज्यादातर मजदूरों ने तीसरी मंजिल पर शरण ली तो फैक्ट्री के अधिकारियों ने फर्श का गेट बंद कर दिया. शुक्रवार को मिले जले हुए शव इसी मंजिल से बरामद किए गए।

मजदूरों के अनुसार, कारखाने की इमारत में अग्नि सुरक्षा के उचित उपाय नहीं थे।

इमारत के अंदर फंसे लोगों को बचाने में हो रही देरी से नाराज परिजनों ने गुरुवार और शुक्रवार को ढाका-सिलहट हाईवे पर फैक्ट्री की इमारत के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

नारायणगंज जिला अग्निशमन सेवा के उप निदेशक अब्दुल्ला अल अरेफिन ने कहा कि आग पर पूरी तरह से काबू पाने में कुछ समय लगेगा।

राष्ट्रपति अब्दुल हामिद और प्रधान मंत्री शेख हसीना ने आग में जानमाल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

घटना की जांच के लिए जिला प्रशासन ने सात सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है और ज़िला प्रशासन ने प्रत्येक मृतक और प्रत्येक घायल के परिवारों के लिए 30,000 रुपये और 10,000 रुपये मुआवज़ा देने की घोषणा की है।

बांग्लादेश में आगजनी की घटनाएं

साल 2019 में पुराने ढाका में स्थित इमारत जिसमें दुकानें और वेयरहाउस थे, आग लगने से 67 लोगों की मौत हो गई, जबकि इसी साल एक बहुमंजिला व्यावसायिक इमारत में आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई।

साल 2012 की वो भीषण दुर्घटना अभी तक लोग नहीं भुला पाए हैं जिसमें ढाका के बाहर स्थित एक गार्मेंट फैक्ट्री में आग लग जाने से 112 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में भी मेन गेट बंद होने से लोग अंदर ही फंस गए थे।

2010 में पुराने ढाका की इमारत में गैर क़ानूनी तरीके से रखे गए केमिकल में आग लगने से 123 लोगों की मौत हो गई थी।

 

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Workers Unity Team

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