जेलों में बंद क़ैदियों में 65 प्रतिशत एससी, एसटी और ओबीसी: सरकार
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि ओबीसी, एससी और अन्य श्रेणियों के क़ैदियों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश की जेलों में है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की है।
इसके अलावा देशभर की जेलों में कुल क़ैदियों में 95.83 फ़ीसदी पुरुष और 4.16 फ़ीसदी महिलाएं हैं।
सरकार ने बुधवार को बताया कि देश की जेलों में बंद 478,600 कैदियों में से 315,409 (कुल 65.90 फीसदी) कैदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हैं।
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा, 31 दिसंबर 2019 तक अपडेट किए गए आंकड़ों के संकलन पर आधारित हैं।
उन्होंने बताया कि देश की जेलों में बंद 478,600 कैदियों में से 315,409 कैदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हैं. शेष 126,393 कैदी अन्य समूहों से हैं।
रेड्डी ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार, 162,800 कैदी (34.01 फीसदी) अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं जबकि 99,273 कैदी (20.74 फीसदी) अनुसूचित जाति से और 53,336 कैदी (11.14 फीसदी) अनुसूचित जनजाति से हैं।
उन्होंने बताया कि कुल 478,600 कैदियों में से 458,687 कैदी (95.83 फीसदी) पुरुष और 19,913 कैदी (4.16 फीसदी) महिलाएं हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुल 19,913 महिला कैदियों में से 6,360 (31.93 प्रतिशत) ओबीसी हैं, जबकि 4,467 (22.43 प्रतिशत) अनुसूचित जाति की, 2,281 (11.45 प्रतिशत) अनुसूचित जनजाति की और 5,176 (26.29 प्रतिशत) अन्य श्रेणी की हैं।
आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश (44,603) और बिहार (39,814), उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों में कैदियों की कुल संख्या 101,297 (देश की कुल जेल कैदियों की 21.16 प्रतिशत) है।
आंकड़ों के अनुसार, ओबीसी, एससी और ‘अन्य’ श्रेणियों के कैदियों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश की जेलों में है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की।
पश्चिम बंगाल ने 2018-2019 के जेल के आंकड़े नहीं दिया है, इसलिए 2017 के आंकड़ों को शामिल किया गया है। जबकि महाराष्ट्र ने श्रेणी-वार आंकड़े नहीं दिया है।
राज्यसभा सदस्य सैय्यद नासिर हुसैन ने सवाल किया था कि क्या देश की जेलों में अधिकांश कैदी दलित और मुस्लिम हैं, उनकी संख्या पर एक श्रेणीवार ब्योरा, सरकार उन्हें पुनर्वास और शिक्षित करने के लिए क्या-क्या प्रयास कर रही है?
कैदियों को शिक्षित और पुनर्वास करने के सवाल पर रेड्डी ने कहा, ‘जेलों और हिरासत में लिए गए लोगों का पुनर्वास और प्रबंधन संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।’
बता दें कि एनसीआरबी द्वारा बीते साल अगस्त में जारी किए गए साल 2019 के आंकड़ों से पता चला था कि जेलों में बंद दलित, आदिवासी, मुस्लिमों की संख्या देश में उनकी आबादी के अनुपात से अधिक है।
साथ ही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2019 के आंकड़ों के अनुसार, देश की जेलों में बंद विचाराधीन मुस्लिम कैदियों की संख्या दोषी ठहराए गए मुस्लिम कैदियों से अधिक है।
(द वायर की खबर से साभार)
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