74% मजदूर महीने में 500 रुपए की बचत भी नहीं कर पाते हैं: WPC survey
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लगभग 46 फीसदी मजदूरों को निर्धारित न्यूनतम वेतन का एक-तिहाई या आधा ही मिलता है, ये पता चला है दिल्ली में हुए एक सर्वे में।
Working People’s Coalition (WPC) द्वारा किए गए Accessing minimum wages: Evidence from Delhi सर्वे के मुताबिक 74 फीसदी मजदूर महीने में 500 रुपए भी नहीं बचा पाते हैं।
असंगठित क्षेत्र में मजदूरों को वैसे भी कोई सामाजिक सुरक्षा या बीमा नहीं मिलता है और इतनी कम बचत में मजदूर सरकार द्वारा दी जाने वाली ESIC स्कीम भी लेने के समर्थ नहीं होंगे।
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जब इस साल जनवरी और फरवरी में सर्वेक्षण किया गया था, तब दिल्ली में निर्धारित मासिक न्यूनतम वेतन 16,064 रुपये था (महीने में 26 दिनों के लिए लगभग 618 रुपये प्रति दिन)। तब से इसे बढ़ाकर 16,506 रुपये (लगभग 635 रुपये प्रतिदिन) कर दिया गया है।
करीब 21 फीसदी मजदूर महीने में 500 से 1000 रुपए तक की बचत कर पाते हैं।
सिर्फ तीन फीसदी मजदूर ही महीने में 2000 रुपए से ज्यादा बचा पाते हैं।
यह आंकड़े सिर्फ मजदूरों के वर्तमान में बिगड़े हालात की तरफ ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए संकटों के अंबार की झलक दिखाता है।
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लगभग 90 प्रतिशत से अधिक मजदूरों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा या पेंशन जैसी कोई सुविधा नहीं है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि दो-तिहाई से अधिक मजदूर उन कानूनों से अनजान थे जो उनके उचित वेतन, सुरक्षित काम करने की स्थिति और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार की रक्षा करते हैं।
सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से लगभग 50 प्रतिशत बिहार और उत्तर प्रदेश से थे, और 20 प्रतिशत मध्य प्रदेश और राजस्थान से थे। अधिकांश 26 से 45 वर्ष की आयु के थे। 60 प्रतिशत से अधिक ने पांचवीं कक्षा पास नहीं की थी।
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