लॉकडाउन 2020: रेल पटरियों पर गई 8,733 लोगों की जान, ज्यादातर प्रवासी मजदूर
पिछले साल कोरोना महामारी संक्रमण के चलते लोगों को देशव्यापी लॉकडाउन का सामना करना पड़ा। बिना किसी खास तैयारी के लगाए लॉकडाउन का खामियाजा जनता ने उठाया।
इसका सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा।
काम छिनने और रोजी रोटी की किल्लत के चलते भारी संख्या में लोग बड़े शहरों और दूसरे राज्यों से अपने घर की तरफ पैदल ही चल दिए। इस दौरान बड़ी संख्या में रेल पटरियों पर कुचलकर लोग मरे।
इस बाबत एक आरटीआई के जवाब में रेलवे बोर्ड द्वारा साझा की जानकारी के अनुसार 2020 में लॉकडाउन के दौरान 8733 लोगों की ट्रेन से कुचलकर रेल पटरियों पर मौत हो गई।
इन मृतकों में अधिकतर प्रवासी मजदूर शामिल थे।
रेलवे बोर्ड ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के एक सवाल के जवाब में जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच इस तरह की मौतों के आंकड़े साझा किए।
रेलवे बोर्ड के अनुसार, ‘राज्य पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 के बीच रेलवे ट्रैक पर 805 लोगों को चोटें आईं और 8,733 लोगों की मौत हुई।’
वहीं अधिकारियों ने अलग से बताया कि मरने वालों में से कई प्रवासी मजदूर थे जिन्होंने सभी साधन बंद होने के चलते पटरियों के किनारे चल कर घर जाने का रास्ता चुना। दरअसल उन्होंने यह मान लिया था कि लॉकडाउन के कारण कोई ट्रेन नहीं चलेगी।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान केवल मालवाहक रेलगाड़ियां परिचालित की जा रही थीं।
मजदूरों द्वारा रेल मार्ग से घर जाने की कई वजहें थी। जैसे की रेल मार्गों को दूसरे रास्तों की तुलना में छोटा माना जाता है।
उनका मानना था कि इस तरह से वे लॉकडाउन मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए पुलिस से बच सकते थे और वे रास्ता नहीं भटकेंगे।
(साभार-द वॉयर)
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