झारखंड में एक और मज़दूर ने फांसी लगाई, टीबी का इलाज न होने और ग़रीबी से था परेशान

झारखंड में एक और मज़दूर ने फांसी लगाई, टीबी का इलाज न होने और ग़रीबी से था परेशान

By रूपेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला के खरसावां थाना क्षेत्र बोरडीह गांव में 25 अप्रैल की देर रात एक मजदूर ने अपने घर के आंगन में आम के पेड़ में रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया।

दैनिक भास्कर में 27 अप्रैल को प्रकाशित खबर के अनुसार, खरसावां के बोरडीह गांव के निवासी जोगेन महतो (29) पनी पत्नी चंचला महतो सहित दो छोटे छोटे मासूम बच्चों के साथ रहते थे।

25 अप्रैल की रात जोगेन महतो अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों के साथ प्रतिदिन की भांति खाना खाकर सोने चले गए।

देर रात परिवार को सोता हुआ छोड़कर घर से बाहर निकला और अपने घर के आंगन के आम के पेड़ में रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

परिजनों ने 26 अप्रैल की सुबह उसकी लाश आम के पेड़ से झूलता हुआ देखकर आनन-फानन में उसको नीचे उतारा, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

बोरडीह गांव से लगभग आधा किलो मीटर दूर स्थित मैदान में मृतक का घर होने के कारण घटना की सूचना सुबह 9 बजे ग्रामीणों को दी गई। ग्रामीणों ने खरसावां पुलिस को इसकी सूचना दी।

पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। ग्रामीणों और परिजनों ने बताया कि मृतक एक महीने से मानसिक रूप से परेशान था।

मासूमों के सिर से उठा पिता का साया

मृतक जोगेन महतो की मौत के बाद उसके दो मासूमों के सिर से पिता का साया छिन गया है। मां अपने मासूमों को किसी तरह बहला-फुसला रही है।

लेकिन बाप का साथ छोड़ देने के बाद अब उनकी बेहतर परवरिश का भी संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि मृतक जोगेन महतो के दो मासूम बच्चे 8 साल का लक्ष्मण महतो और 3 साल का सचिन महतो है।

jharkhand worker suicide
जोगेन महतो की पत्नी और बच्चे। फ़ोटो साभारः भास्कर

मासूमों को तो यह भी नहीं पता कि आखिर हुआ क्या है। बस वह पापा को क्या हुआ यही कह रहे है और परिजनों के साथ ही अन्य लोग भी इन मासूमों को देखते है तो उनकी आंखों में भी आंसू आ जाते है।

घर का एकमात्र था सहारा, पिता टीबी का मरीज

मृतक की पत्नी चंचला महतो ने कहा कि वर्ष 2012 को जोगेन महतो से उसकी शादी हुई थी। पति आसपास के गांवों में मजदूरी कर हंसी-खुशी से रहता था। विगत एक माह से पति की दिमागी हालत ठीक नहीं थी।

परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। ससुर डोमन महतो भीटीबी का मरीज है। घर का कमाने वाला यही था। परिवार की आर्थिक हालात सही नहीं रहने और लाॅकडाउन होने के कारण समय पर उसका इलाज नहीं हो पाया।

मजदूरी कर परिवार का करता था भरण-पोषण

मृतक जोगेन महतो खरसावां में मजदूरी का काम करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। कोरोना महामारी के कारण देश और राज्य में विगत एक माह से लाॅकडाउन जारी है।

जिसके कारण मजदूरी करना बंद हो गया था। जिसके चलते वह परेशान रहता था। लाॅकडाउन के क्रम में जोगेन महतो अपने परिवार के साथ अपने घर पर ही रहता था।

विगत एक माह से उसकी दिगामी हालत भी खराब हो गई थी। आर्थिक हालात सही नहीं रहने और लाॅकडाउन होने के कारण समय पर उसका इलाज नहीं हो पाया।

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