मुंडका अग्निकांडः तीसरे माले से कूद कर जान बचाने वाली महिला ने बताया भयावह मंजर
शुक्रवार शाम देश की राजधानी दिल्ली के लिए एक काली शाम बान के आयी थी। राज्य के मुंडका इलाके के मेट्रो पिलर नंबर 545 के पास कुछ ऐसा भयावह मंजर था जिसे देखकर हर किसी की रूह काँप जाए। एक तीन मज़िला इमारत में कल शाम भीषण आग लगाने के कारण 27 मजदूरों ने अपनी जान गवा दी, साथ ही 19 मज़दूर गंभीर रूप से घायल है।
घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने बताया की फैक्ट्री में 200 से ज्यादा लोग काम करते थे जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। साथ ही सुरक्षित बचे लोगों का कहना है की जब फैक्ट्री में आग लगनी शुरू थी तभी लोगों ने दमकल विभाग को संपर्क किया था मगर उनको आने में काफी ज्यादा समय लग गया था तब तक आम लोगों और मजदूरों के परिजनों की मदद से कुछ मज़दूरों की जान बचाई जा सकी । स्थानीय लोगों का कहना है कि हमने रसी और सीढ़ियों की मदद से लोगों को सुरक्षित निकला था।
फैक्ट्री में काम कर रहे लोगो को जब कहीं से उम्मीद की किरण नहीं दिखे तो उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए तीन मंजिला इमारत से कूदना शुरू कर दिया।
फैक्ट्री में काम करने वाली रेनू में बताया कि ” फैक्ट्री में बहुत ज़ोरो से आग लग रही थी और बाहर निकलने के लिए केवल एक ही जीना था उस वक्त कुछ भी समझ नहीं आरहा था की क्या किया जाये वह मौजूद सभी लोग किसी न किसी तरह अपनी जान बचने की कोशिश कर रहे थे जब मुझे कुछ भी समझ नहीं आरहा था तो मैंने अपनी जान बचने के लिये फैक्ट्री के तीसरे माले छलांग लगा दी थी। ”
घटना स्थल पर मौजूद इस्माइल ने बता कि ” लगभग सवा चार बजे मेरी बहन का फ़ोन आया कि हमारी फैक्ट्री में आग लग गई है तुम जल्दी आ जाओ जब मैं पंहुचा तो इमारत बुरी तरह जल रही थी। वहां मौजूद चार- पांच लोगों ने दूसरी इमारत के अंदर जाने कि कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाए और अभी तक मेरी बहन का कुछ पता नहीं है। ”
अपनी बहन की तलाश में संजय गांधी अस्पताल पहुंचे अजीत तिवारी ने बताया कि ” घटना के बाद से ही मेरी बहन जिसका नाम मोनिका है उसका कही भी पता नहीं चल रहा है। उसने पिछले महीने एक सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में काम करना शुरू किया था और हादसे वाले दिन ही उसे पहली सैलरी मिली थ। अब वो कहां हैं, पता नहीं…”
साथ ही साथ अजीत ने बताया कि हमें शाम 5 बजे आग के बारे में पता चला, लेकिन ये नहीं पता था कि आग उसके ऑफिस की बिल्डिंग में लगी थी, जब वो घर नहीं लौटी तो शाम 7 बजे से उसकी तलाश में हूं, मोनिका अपने दो भाइयों और एक बहन के साथ दिल्ली के आगर नगर में रहती है। वो उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की रहने वाली है।
बीन एनओसी चल रही थी फैक्ट्री
दिल्ली फायर सर्विसेज के निदेशक अतुल गर्ग का कहना है कि ” इस इमारत का फायर एनओसी नहीं थी और आग बुझाने का कोई उपकरण भी नहीं था। इमारत में प्लास्टिक का सामान और CCTV आदि था, इसलिए आग एक मंजिल से दूसरी तरफ आसानी से फल गई। हमारा रेस्क्यू ऑपरेशन अब पूरा हो चुका है, अब इसमें और शव मिलने की आशंका न के बराबर है। हमने कुल 30 फायर टेंडर को भेजा था और अभी तक 125 लोगों को बचा लिए है। हमें रात को 27 शव मिले, कुछ शवों के हिस्से सुबह मिले हैं, जिससे लगता है कि ये 2-3 शव और होंगे। कुल मृतकों की संख्या 29-30 हो सकती है। ”
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