बुद्धिजीवियों, यूनियनों ने बताया नए लेबर कोड को मजदूर विरोधी: विशाखापटनम सेमीनार
‘मजदूर वर्ग पर चार लेबर कोड का प्रभाव’ विषय पर आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम एक सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए चार लेबर कोड या श्रम संहिता, मजदूर वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित कर देंगे और नियोक्ताओं को उनके अधिकारों के हनन करने के लिए खुली छूट दे देंगे।
The Hindu की खबर के मुताबिक इस सेमीनार का आयोजन CITU जिला समिति द्वारा बुधवार को डाबागार्डन स्थित अल्लूरी विज्ञान केंद्रम में किया गया।
दामोदरम संजीवय्या नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी (DSNLU) के पूर्व कुलपति, वाई सत्यनारायण, जो कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, ने कहा कि केंद्र सरकार संसद में विधेयकों को पारित करने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाकर लोकतंत्र का मजाक बना रही है।
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CITU प्रदेश अध्यक्ष नरसिंह राव ने कहा कि लेबर कोड ट्रेड यूनियनों और मजदूरों के मूल अधिकार, जैसे सौदेबाजी के अधिकार और हड़ताल के अधिकार से वंचित करेगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न उद्योगों और सार्वजनिक क्षेत्र में ठेका मजदूर, जो कि अतीत में कुल श्रम बल में 5 से 10 फीसदी के बीच होते थे, आज अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संगठनों में 50 फीसदी से अधिक हो गया है।
एक ही काम के लिए ठेकाकर्मी और रेगुलर कर्मचारियों के वेतन में कम से कम चार गुना अंतर था। उन्होंने इसे सरकार का शोषण करार दिया।
“हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) में पिछले तीन सालों से फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट पहले से ही लागू किया जा रहा है। एक कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के दौरान किसी भी समय हटाया जा सकता है,” नरसिंह राव ने कहा।
‘सेना का ठेकाकरण’
उन्होंने दावा किया कि पूर्व में संविदा कर्मचारियों को भी मुआवजा दिया जाता था, लेकिन फिक्स अवधि के रोजगार में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने अग्निपथ योजना को ‘सशस्त्र बलों का ठेकाकरण’ बताते हुए कहा कि भविष्य में मजदूरों को 60 दिन पहले हड़ताल का नोटिस देना होगा और सुलह के लिए कोई समय सीमा नहीं होगी।
आंध्र विश्वविद्यालय की रिटायर्ड लॉ प्रोफेसर, एन निर्मला ने कहा कि चार लेबर कोड श्रम के ठेकाकरण को वैध बनाती हैं और कहा कि फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट से नौकरी की सुरक्षा हट जाएगी।
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उन्होंने कहा कि ‘हायर एण्ड फायर’ नीतियों से नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच संबंधों में खटास आएगी।
उन्होंने कहा कि ठेकेदारों और नियोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए Contract Labour Act के प्रावधानों में बदलाव किया गया है। ये पहले से ही भाजपा शासित राज्यों में लागू किए जा रहे थे।
उन्होंने इन कानूनों का विरोध करने की जरूरत पर जोर डालते हुए कहा कि भविष्य में इस प्रकार के बदलाव सरकारी क्षेत्र में भी अपनाए जाएंगे।
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