15 साल मेहनत कर जिसे अरबपति बनाया, उसी ने घर लौटने को कर दिया मजबूर
By आशीष सक्सेना
लॉकडाउन में मजदूर ऐसे ही घर नहीं लौट रहे। मालिकों ने न उनको जिंदा रहने का माहौल दिया और न ही जज्बातों की कद्र की। उनका खुद का भी भ्रम टूट कि ‘हमारे मालिक बहुत अच्छे आदमी हैं’।
मालिकों ने आड़े वक्त में मुंह मोड़ लिया। मजबूर होकर वे आंखों में आंसू लिए वापस लौटे या लौट रहे हैं।
दूसरे प्रदेशों से अपने घर लौट रहे मजदूरों का हाल जानने जब बरेली रेंज के डीआईजी ने जब एक डीसीएम रुकवाई तो उसमे सवार सभी एक ही गांव के निकले।
बातचीत में मजदूरों ने डीआईजी को अपनी आपबीती सुनाई तो वो भी हैरत में पड़ गए। अंबाला से बिहार के खगरिया जा रहे मजदूर ने बताया कि वो 15 साल पहले हरियाणा में परिवार के साथ फसल कटाई करने गए थे।
उनकी मेहनत देख एक व्यक्ति ने उन्हें काम देने की इच्छा जताई, जिसके बाद मजदूर और उसके परिवार के पांच सदस्य दो कमरों के टीन शेड में बने इंसुलेटर के कारखाने में काम करने लगे।
देखते ही देखते काम चल निकला तो मालिक ने बड़ी फैक्ट्री लगाई जिसमें मजदूर ने अपने गांव के अन्य लोगों को भी बुलाकर काम दिलवा दिया।
मालिक का व्यापार दिन रात तरक्की करता गया और मालिक करोड़ों में खेलने लगा लेकिन मजदूरों का हाल जस का तस रहा। फिर भी उनको ये तसल्ली थी कि रोजी-रोटी तो चल ही रही है।
अभी, जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई तो मालिक ने एक माह तक तो उनके खाने का इंतजाम किया लेकिन उसके बाद मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया।
15 साल का रिश्ता अचानक टूट गया। जिसके बाद फैक्ट्री में काम करने वाले सभी लोगों ने मिलजुलकर डीसीएम किराए पर ली और अपने घर के लिए रवाना हुए।
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