केजरीवाल ने इधर लॉकडाउन ऐलान किया, उधर 25000 गेस्ट टीचर्स की नौकरी छीन ली
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी कर 20,000 से ज्यादा गेस्ट टीचर की नौकरी को समाप्त कर दिया है।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि सरकार ने स्कूलों स्कूलों में गेस्ट टीचर की सेवाओं को डिस्कंटीन्यू कर दिया है।
गौरतलब है कि 19 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने 1 हफ्ते के लिए लॉकडाउन की घोषणा की जिसके बाद से ही प्रवासी मजदूरों का दिल्ली से पलायन शुरू हो गया है।
पिछले साल भी कई गेस्ट टीचर्स का वक्त पर पैसा न मिलने के कारण काफी मुश्किलों में दिन बीता। सब्जी बेचकर या पंचर बना कर कई टीचर्स ने अपना गुज़ारा किया और उस समय ये खबरें काफी सुर्खियों में रहीं।
दिलचस्प बात यह है कि लॉकडाउन घोषित करने के बाद दिल्ली सरकार ने प्रवासी मजदूरों या अस्थाई कर्मचारियों के लिए किसी भी राहत की घोषणा नहीं की बल्कि जिस दिन लॉकडाउन घोषित किया उसी दिन शिक्षा निदेशालय ने एक सर्कुलर जारी कर गेस्ट टीचर्स की नौकरी को डिस्कंटीन्यू करने का ऐलान कर दिया।
इस सर्कुलर में कहा गया है कि जरूरत होने पर स्कूल उन्हें बुला सकेंगे जिसका उन्हें भुगतान किया जाएगा। उधर गेस्ट टीचर्स ने आरोप लगाया है कि जिस समय लोगों को अपने घरों में रहने, कोरोना से बचे रहने की ताकीद की जा रही है, दिल्ली सरकार का यह बर्ताव बेहत अमानवीय है।
ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शोएब राणा ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा है कि इस कठिन समय में जब हर किसी के लिए अपने परिवार और अपनी जान और रोजी-रोटी चलाने और उसको बचाने की प्राथमिकता है दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा 25000 से ज्यादा अतिथि शिक्षकों की एकदम से नौकरी छीन कर उनको सड़क पर लाना बहुत ही अमानवीय और असंवेदनशील काम है।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर गेस्ट टीचर्स का परिवार इसी नौकरी पर चलता है लेकिन दिल्ली सरकार कुछ पैसे बचाने के लिए इन 25 हजार से अधिक परिवारों को भूखों मरने के लिए सड़क पर छोड़ दिया है।
शोएब ने कहा कि हमें 10 साल से ज्यादा काम करते हो गए, लेकिन अभी तक अतिथि शिक्षकों को जॉब सिक्योरिटी नहीं मिल पाई है। क्या सरकार की ओर से किया जा रहा शोषण नहीं है?
पिछले साल भी ऐसे ही समय में अतिथि शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया था जिससे इन्होंने बहुत कठिन हालात में अपना गुजारा किया। ठीक है एक साल बाद वैसे ही हालात सामने आए हुए हैं।
शोएब राणा ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से अपील की है कि शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार करने वाले इस आदेश को तुरंत वापस लें। परमानेंट करने के नाम पर पिछले 60 सालों से दिल्ली सरकार गेस्ट टीचर्स के साथ धोखा करती आई है।
उन्होंने कहा कि ‘सरकार का काम रोजगार बचाना होता है ना कि रोजगार छीनना। सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने कर्मचारियों के रोजगार को बचाए और बनाए रखे। मेरी और एसोसिएशन की पूरे शिक्षक समाज और दिल्ली वासियों से अपील है कि अतिथि शिक्षकों के रोजगार को बचाने के लिए आगे आएं और इस मुहिम में हमारा साथ दें।’
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