कोरोना से उबरने वाले मरीज़ों की ब्लैक फंगस ले रहा है जान, लोग गंवा रहे अपनी आंख
कोरोना संक्रमित मरीजों में हाल ही में ब्लैक फंगस या म्युकरमाइकोसिस नाम की एक गंभीर बीमारी देखी जा रही है, जिससे लोग आंख गंवा दे रहे हैं। सबसे पहले ऐसे मरीज़ गुजरात में पाए गए।
कोरोना से उबरने के बाद ब्लैक फंगस नामकी बीमारी जब आंख को प्रभावित करती है तो उसे सर्जरी से निकाल कर मरीज़ की जान बचाई जा रही है। असल में एक तरह से यह गैंग्रीन का कारण बनता है और खून ले जाने वाली नलियों को सुखा कर काला कर देता। इसीलिए इसे ब्लैक फंगस कहते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, फिलहाल यह बीमारी बहुत कम मरीजों में पाई गई है, फिर भी नेशनल कोविड टास्क फोर्स ने बीते रविवार को इसके लिए एडवाइजरी जारी कर दी है।
इस बीमारी का असर त्वचा और आंख पर दिखाई देता है। इसके अलावा यह बीमार व्यक्ति के फेफड़ों और दिमाग पर भी असर डालता है। ब्लैक फंगस अपने आसपास की कोशिकाएं भी नष्ट कर सकता है।
ब्लैक फंगस के केस गुजरात और महाराष्ट्र में पाए गए हैं। अब उप्र और अन्य राज्यों में भी इसके मरीज मिलने लगे हैं। लखनऊ और वाराणसी में भी ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं। फिलहाल केजीएमयू में ऐसे कई मरीजों का इलाज चल रहा है।
केजीएमयू के संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने बताया कि म्युकरमाइकोसिस फंगस असल में हवा में होता है, जो लकड़ी वगैरह से निकलता है।
उन्होंने कहा, ‘सामान्य लोगों की इम्युनिटी सही होती है, जबकि कोविड मरीजों की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है। ऐसे में यह फंगस उनके शरीर के किसी भी हिस्से में बढ़ने लगता है।’ इसीलिए कोविड मरीज़ों को एंटी फंगल दवा दी जाती है।
ब्लैक फंगस शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ज्यादातर यह नाक कान, गले और फेफड़ों में पाया जाता है। फेफड़े में यह गांठ के रूप में विकसित होता है। इससे निपटने के लिए शुरुआत में एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं।
इसके बाद भी नियंत्रित न होने पर ऑपरेशन कर गांठ निकाली जाती है। यह फंगस दिमाग तक पहुंच सकता है। ऐसे स्थिति में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
पहले ब्लैक फंगस पोस्ट कोविड मरीजों में ज्यादा मिलता था, लेकिन अब कोविड संक्रमितों में वायरस के साथ यह फंगस भी मिल रहा है। खासतौर पर उन मरीजों में इसका ज्यादा अ सर देखा जा रहा है, जो पहले से हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज़ से पीड़ित हैं।
शुगर की बीमारी वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने पर जरूरत से ज्यादा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है।
यह फंगल इन्फेक्शन नाक और आंख के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है।
इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। यहां से फंगस खून में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। अब हर दिन बढ़ रहे हैं मामले गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)