विश्व बैंक के बाद अब ब्रिक्स बैंक से मिला एक अरब डॉलर का कर्ज

विश्व बैंक के बाद अब ब्रिक्स बैंक से मिला एक अरब डॉलर का कर्ज

By आशीष सक्सेना

याद कीजिए। तीन अप्रैल को जब प्रधानमंत्री सुबह नौ बजे रामायण प्रसारण के समय टीवी पर राष्ट्र को संबोधित करने आए। उससे एक दिन पहले ही रात को विश्व बैंक ने एक अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज दिया था भारत को। वह विश्व बैंक, जिसके मुखिया अमेरिकी राष्ट्रपति की बदौलत उस गद्दी पर विराजमान हैं और वह बैंक जिसमें अमेरिका की चलती है।

अब नया एक अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज दिया है ब्रिक्स देशों की नई नवेली न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने। ये कर्ज भी भारत को कोविड-19 से लडऩे के नाम पर दिया गया है। इस कर्ज को देने पर मुहर 30 अप्रैल को निदेशक मंडल की बैठक में लगी और इस संबंध में आधिकारिक घोषणा तीन मई को की गई।

कर्ज के एवज में भारत को अपनी सामाजिक और आर्थिक नीतियों में लचीलापन लाने की उम्मीद की गई है। जाहिर है, ये लचीलापन ब्रिक्स देशों की कंपनियों की आसानियों को पैदा करने की उम्मीद है।

ये उम्मीद भी तकरीबन वैसी ही है, जैसे विश्व बैंक के कर्ज के एवज में पूरी की जानी है। ऐसा संभव है कि श्रम कानूनों को समाप्त करने या मुल्तवी करने के पीछे की वजह ये कर्ज भी हों।

एनडीबी की स्थापना ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को की है।

चीन के शहर शंघाई स्थित एनडीबी की स्थापना ब्रिक्स देशों ने 2014 में की थी और इस समय इसके नेतृत्व में भारतीय बैंकर केवी कामथ भी हैं।

जनवरी महीने में कामथ को वित्त मंत्रालय का प्रभार मिलने की भी अटकलें लग रही थीं। कामथ ने 1 मई 1996 से 30 अप्रैल 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में कार्य किया है।

इसके अलावा वे आईआईएम अहमदाबाद, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट, पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गांधीनगर व मनिपाल यूनिवर्सिटी ऑफ हायर एजुकेशन की परिषदों और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई ) की राष्ट्रीय परिषद के भी सदस्य हैं।

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ashish saxena