असम के 4 लाख चाय बागान मजदूरों में भाजपा के ख़िलाफ़ गुस्सा, याद दिलाया चुनावी वादा
असम के चाय बागान मजदूरों ने भाजपा के चुनावी वादे को याद दिलाकर दो दो हाथ करने का मन बना लिया है। भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को याद दिलाया है कि विधानसभा चुनाव 2016 में किया गया न्यूनतम वेतन वृद्धि का वादा जल्द पूरा नहीं हुआ तो आरपार के लिए मैदान में उतरेंगे।
पिछले महीने बागान मजदूरों और छात्रों ने हड़ताल कर राज्यभर में विरोध प्रदर्शन कर नाराजगी जाहिर की थी। इस दौरान लगभग 250 चाय बागान बंद होने से गरीब मजदूरों को भयानक बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।
स्पूतनिक न्यूज के अनुसार, अप्रैल 2021 में असम में विधानसभा चुनाव होंगे। इससे पहले चाय बागान श्रमिकों का आंदोलन न्यूनतम मजदूरी 167 रुपये से बढ़ाकर 351.33 रुपये करने की मांग जोर पकड़ रही है।
एसीएमएस के महासचिव रूपेश गोवाला ने कहा, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार श्रमिकों के लिए बेहतर काम करने की स्थिति मुहैया कराने और वेतन वृद्धि का वादा कर सत्ता में आई थी। लेकिन हालात ये हैं कि मजदूर अमानवीय स्थिति में काम करने को मजबूर हैं और सरकार बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दिला रही है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा सत्ताधारी सरकार ने 2018 में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें मजदूरी को प्रतिदिन 351.13 रुपये तक देने की बात कही गई। हालांकि, यह बागान मालिकों के चुनौती देने पर इसे लागू नहीं किया गया। इस मामले को सुलझाने को एक कमेटी भी बनाई गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
रूपेश गोवाला ने कहा, ऐसा लगता है जैसे चाय बागान मजदूरों की मजदूरी कभी प्राथमिकता नहीं थी और सिर्फ वोट हासिल करने के लिए मजदूरों को मूर्ख बनाया गया था।
कई यूनियनों के प्रतिनिधियों ने स्पुतनिक से कहा कि अगले चुनावों के लगभग पांच महीने बचे हैं, लेकिन श्रमिकों से किए गए सभी वादे अधूरे रह गए हैं। अगले चुनाव से पहले वादा किया गया वेतन नहीं मिला तो आक्रामक विरोध का रास्ता चुनना ही विकल्प बचेगा।
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