इनकम टैक्स के 180 ठेका कर्मचारियों की बड़ी जीत, हाईकोर्ट ने बहाल करने का दिया आदेश
अहमदाबाद के इनकम टैक्स डिपार्टम से 5 जनवरी 2019 को इन कर्मचारियों को निकाल दिया था लेकिन लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने सभी कर्मचारियों को बहाल करने का आदेश दिया है।
साथ ही कोर्ट ने इन कर्मचारियों को परमानेंट पदों पर रखने, समान वेतन देने, वेतन वृद्धि, प्रमोशन, पीएफ़, पेंशन, ग्रैच्युटी और वो सारी सुविधाएं देने का आदेश दिया जो स्थायी कर्मचारी को मिलती हैं।
अहमदाबाद हाईकोर्ट ने न केवल बहाली के आदेश दिए बल्कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में ठेकेदारी प्रथा को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए कहा कि बोगस काग़ज़ दिखाकर ठेकेदार के तहत पे-स्लिप दिखाया जोकि ग़ैरक़ानूनी, अन्यायपूर्ण, असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और अतार्किक है।
कोर्ट ने कर्मचारियों की बकाया राशि पर 12% वार्षिक ब्याज़ समेत पूरा भुगतान करने को कहा है।
- गुजरात मॉडल में 10 हज़ार से ऊपर की नौकरी मिलना मुश्किल क्यों
- जीआईएसएफ़ में 22 साल की नौकरी के बाद भी सैलरी 10,000 रु
ऐतिहासिक सफलता
ऐसे समय में जब पूरे देश में ठेकेदारी प्रथा को क़ानूनी बनाने की ओर मोदी सरकार जोर शोर से आगे बढ़ रही है और मज़दूरों को क़ानूनी रास्ते से हार दर हार का सामना करना पड़ रहा है, ये फैसला अहम है।
ये कर्मचारी पिछले दस दस साल से ठेके पर नौकरी कर रहे थे। एक कर्मचारी छगन ने वर्कर्स यूनिटी को बताया था कि ठेकेदार 22 हज़ार हर कर्मचारी पर डिपार्टमेंट से लेता है लेकिन केवल 9000 रुपये ही सैलरी देता है।
ग्रेड सी में आने वाले इन कर्मचारियों को जब ये बताया गया कि उनकी नौकरी समाप्त हो जाएगी तो ये दिसम्बर 2018 में आश्रम रोड स्थित आईटी ऑफ़िस के सामने धरने पर बैठ गए थे।
दिसम्बर में ही 35-40 कर्मचारियों को निकाल दिया गया और कहा गया कि 1 जनवरी 2019 से उनका कांट्रैक्ट रिन्यू नहीं होगा।
इसके बाद कर्मचारियों ने एकजुट होकर क़ानूनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा के मानेसर में स्थित होंडा कंपनी के 2500 कैजुअल मज़दूरों को चार महीने तक दिन रात हड़ताल के बाद मामूली सफलता मिली।
होंडा के कैजुअल मज़दूर नेता अतुल त्रिपाठी ने होंडा समझौते को मज़दूरों की सबसे बड़ी हार बताया था।
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