अवैध ढंग से ढहाए घर का पुनर्निर्माण, अटाला हिंसा की निष्पक्ष जांच: यूपी सरकार से मांग
उत्तर प्रदेश सरकार की किसी भी मामले में जांच के पहले ही मनमाने ढंग से दोषी करार देकर घर पर बुलडोजर चलाने की नीति के खिलाफ इलाहाबाद नागरिक समाज ने शहर के पत्थर गिरजा, सिविल लाइंस में गुरुवार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने ये मांग उठाई कि 10 जून को अवैध रूप से तोड़े गए परवीन फातिमा के घर
धरने में शहर के कई बुद्धिजीवी, प्रोफेसर, ट्रेंड यूनियन लीडर्स, साहित्यकार, अधिवक्ता, छात्र नौजवान और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
धरने को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर नीति भारतीय संविधान और भारतीय न्याय प्रणाली को समाप्त करने की नीति है।
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बुलडोजर नीति से आम नागरिकों में भय का वातावरण बन रहा है, जिससे लोगों के अंदर कानून के राज के प्रति विश्वास कमजोर होगा और पूरे भारतीय समाज में अराजकता का माहौल बनेगा।
इसलिए यदि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है तो उसके ऊपर कार्यवाही भी पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत ही होनी चाहिए, न कि बुलडोजर नीति से उसके घर को जमीदोंज करके।
वक्ताओ ने कहा कि इलाहाबाद में 10 जून को शासन प्रसाशन की लापरवाही से जो हिंसक घटना हुई वो ग़लत है, लेकिन उपरोक्त घटना के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार की एकतरफा पुलिसिया उत्पीड़न की करवाई भी उतनी ही ग़लत है।
नागरिक समाज ने शहर में नागरिकों से अमन चैन और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील की और कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के जावेद मोहमद को मास्टरमाइंड बताना और उनकी पत्नी परवीन फातिमा के घर को कोई भी कानूनी प्रक्रिया पूरी किए वग़ैर बुलडोजर से जमीदोंज करना और 30 घन्टे से अधिक समय तक थाने में बैठाए रहना सरासर ग़लत है।
अंत में इलाहाबाद नागरिक समाज की तरफ़ से महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार को संबोधित विभिन्न मांगों का ज्ञापन द्वारा इलाहाबाद एसीएम 2 को सौंपा गया।
धरने की मुख्य मांग- 10 जून 2022 को दोपहर में इलाहाबाद अटाला क्षेत्र में हुई हिंसक घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाय, परवीन फातिमा पत्नी जावेद मोहम्मद के अवैध ढंग से गिराए गए मकान का पुनर्निर्माण का आदेश देते हुए पांच करोड़ रुपए का मुवावजा दिलाया जाए।
अवैध ढंग से परवीन फातिमा का मकान गिराए जाने के लिए जिम्मेदार प्रयागराज विकास प्राधिकरण के दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।
10 जून 2022 की घटना में विभिन्न मुकदमे में झूठा फ़साये गए सामाजिक कार्यकर्ता डॉ आशीष मित्तल, शाह आलम, जीशान रहमानी, उमर खालिद, इत्यादि निर्दोष नागरिकों का उत्पीड़न बंद किया जाय और झूठे मुकदमे तत्काल वापस लिया जाए।
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