वेतन काटने पर कठुआ में हज़ारों मिल वर्करों का प्रदर्शन, पुलिस पर पथराव, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले दागे

वेतन काटने पर कठुआ में हज़ारों मिल वर्करों का प्रदर्शन, पुलिस पर पथराव, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले दागे

जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले में शुक्रवार को चेनाब टेक्सटाइल मिल्स (सीटीएम) के हज़ारों मजदूरों ने अप्रैल माह की सैलरी कटौती के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर जम्मू-पठानकोट नेशनल हाईवे को जाम कर दिया।

इस दौरान जाम हटाने की कोशिश में पुलिस और मज़दूरों के बीच भिड़ंत के कारण हाईवे पर कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।

लाठीचार्ज में कई मज़दूर घायल हुए हैं, कई मज़दूरों के सिर पर भी चोटें लगी हैं। घायल मज़दूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मजदूरों का कहना है कि अप्रैल माह का पूरा वेतन उन्हें नहीं मिला है। उन्होंने आरोप लगाए कि फ़ैक्ट्री में उन्हें 350 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया जाता है लेकिन इस मैनेजमेंट ने केवल 175 रुपये प्रति दिन के हिसाब से पेमेंट किया है।

मज़दूरों कहना था कि जबतक मैनेजमेंट पूरी सैलरी नहीं देता है, वो प्रदर्शन करना जारी रखेंगे।

इस दौरान पुलिस ने मजदूरों को समझाने का प्रयास किया लेकिन कोई ठोस आश्वासन न मिलने पर मज़दूर उग्र हो गए।

अमर उजाला की ख़बर के अनुसार, एसएसपी शैलेंद्र मिश्रा ने मज़दूरों को आश्वासन दिया कि वो मिल मालिक से बात कर बकाया वेतन दिलवाएंगे।

असल में मज़दूरों को अप्रैल माह की पूरी तनख्वाह नहीं दी गई थी, जिससे गुस्साए वर्कर मिल कांप्लेक्स में प्रदर्शन कर रहे थे जिसे ख़त्म कराने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया।

जिसके बाद गुस्साए मिल वर्करों ने कार्यालय में तोड़फोड़ की और फिर पास ही हाईवे को जाम कर दिया।

जाम हटाने के लिए किए गए लाठी चार्ज के बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई जिसकी चपेट में कई वाहन आ गए। इसमें पुलिस के भी वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं।

दोनों तरफ़ हुई हिंसा में कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें मज़दूर और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। पुलिस ने दो दर्जन मज़दूरों को हिरासत में लिया है।

मिल में 7,000 मिल वर्कर काम करते हैं और पेमेंट को लेकर विवाद शुरु हुआ था।

मज़दूर घर भेजे जाने की भी मांग कर रहे हैं। मिल वर्करों का आरोप है कि उन्हें अप्रैल माह के वेतन के रूप में केवल 2000 रुपये दिए गए।  एक वर्कर ने एक समाचार वेबसाइट ज़ीन्यूज़ से कहा, “न तो मैनेजमेंट हमें हमारी पूरी तनख्वाह दे रहा है और ना ही हमें हमें हमारे घर जाने दे रहा है।”

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Workers Unity Team