ट्रंप के भड़काउ बयानों पर पुलिस प्रमुख का हमला- ‘अच्छा नहीं बोल सकते तो मुंह बंद रखो’
अमेरिका के एक प्रमुख शहर ह्यूस्टन के पुलिस प्रमुख आर्ट अक्वेडो का एक बयान सुर्खियों में है। एक साक्षात्कार में उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मुंह बंद रखने की नसीहत दी है।
उधर पूरे अमेरिका में प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है और इससे डरे ट्रंप में पूरे देश में सेना तैनात करने की धमकी दी है। इसका भी पुरज़ोर विरोध हो रहा है।
इलिनॉइस के गवर्नर जेपी प्रिज़्कर ने कहा है कि संघीय सरकार किसी राज्य में मिलिट्री नहीं भेज सकती है।
उन्होंने कहा कि, ‘राष्ट्रपति ट्रंप की ये धमकी फसाद खड़ा करने वाला है।’
बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि प्रशासन को कमजोर नहीं पड़ना चाहिए और प्रदर्शनकारियों पर डोमिनेट करते हुए उनसे शख़्ती से पेश आना चाहिए। यही नहीं पूरे देश में अत्याधुनिक हथियारों से लैस नेशनल गॉर्ड्स को तैनात करने की भी चेतावनी दी।
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पुलिस प्रमुख आर्ट अक्वेडो ने कहा “मैं इस देश के पुलिस प्रमुखों की तरफ़ से अमेरिकी राष्ट्रपति से कहना चाहता हूँ कि अगर आप कोई रचनात्मक बात नहीं कर सकते तो अपना मुंह बंद रखिए।”
अक्वेडो ने कहा, “आप साल 2020 में लोगों को ख़तरे में डाल रहे हैं। यह समय लोगों के दिल जीतने का है ना कि उन्हें धमकाने का। पूरे देश में पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं, लोग घायल हुए हैं। ऐसे में हमें नेतृत्व की ज़रूरत है, लेकिन नेतृत्व हमें दुखी कर रहा है। आप एक राष्ट्रपति हैं और उसके लिहाज़ से फ़ैसले लीजिए। यह हॉलीवुड नहीं है। यह असली जीवन है और यह ख़तरे में है।”
अमरीका में पिछले एक हफ्ते से भीषण प्रदर्शन हो रहे हैं। दरअसल एक गोरा पुलिस अधिकारी जॉर्ज फ़्लॉयड नाम के एक निहत्थे काले व्यक्ति की गर्दन पर घुटना टेककर तब तक बैठा जबतक फ़्लॉयड मर नहीं गए।
जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत होने के बाद भी उस गोरे पुलिस अधिकारी ने उनकी गर्दन से अपना घुटना नहीं हटाया।
अमरीका में नस्लवादी हमले का बहुत पुराना इतिहास रहा है। लेकिन इस बार जॉर्ज फ़्लॉयड की बर्बर हत्या के बाद फूटा लोगों का गुस्सा पूरे अमेरिका को अपनी गिरफ़्त में ले चुका है।
विरोध प्रदर्शनों के कारण कम से कम 40 शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है, लेकिन इसके बाद भी लोग सड़कों पर उतर रहे हैं।
ज़ाहिर है इन प्रदर्शनों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चिंता भी बढ़ा दी है।
इसी साल के आख़िर में राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। एक तरफ़ ट्रंप कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहे हैं, वहीं अब इस हिंसा ने उनके लिए नई सियासी मुश्किल पैदा कर दी है।
ट्रंप ने बढ़ती हिंसा पर चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्यों के गवर्नर हालात पर क़ाबू पाने में विफल रहे तो शांति स्थापित करने का काम सेना को सौंपा जाएगा।
यही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि अमरीकी नागरिक जॉर्ज फ़्लायड की मौत को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों की आड़ में फ़ासीवाद विरोधी समूह एंटीफ़ा ने दंगे भड़काए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि एंटीफ़ा को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रकाश के रे का कहना है कि अमेरिका में अधिकतर जगहों पर नेशनल गार्ड की तैनाती करनी पड़ी है। कल सीएनएन पर राष्ट्रपति ट्रंप का एक क्लिप चल रहा था, जिसमें वे गवर्नरों पर बरस रहे थे। राष्ट्रपति ओबामा की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहीं सुसैन राइस विरोध प्रदर्शनों में विदेशी हाथ यानी रूस को देख रही हैं। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी का नेतृत्व भौंचक है। दुनिया में कहीं और यह सब थोड़ा-बहुत भी हो रहा होता, तो अमेरिका और पश्चिम के नेता सत्ता बदलने, तानाशाही, अधिकारों का हनन, एकाधिकारवाद, लोकतंत्र, फ़्रीडम जैसे जुमले छोड़ रहे होते।
वो कहते हैं, ‘रेजिंग ट्वेंटीज़ अनफ़ोल्ड हो रहा है। यह दशक पूरी दुनिया के लिए निर्णायक साबित होगा।’
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