बदरंग रही माइक्रोमैक्स और वोल्टास के मज़दूरों की होली
बढ़ती महंगाई ने जहां एक तरफ त्योहारों की रंगत को फीका कर दिया है वही दूसरी तरफ फैक्ट्रियों- कंपनियों से हो रही लगातार छंटनी और बंदी की वजह से मज़दूरों के सामने घोर आर्थिक संकट जैसे हालात पैदा हो गये हैं।
ऐसे में त्योहार मनाना तो दूर परिवार चला पाना मुश्किल हो गया है। औद्योगिक क्षेत्रों, कारखानों से हर रोज मज़दूरों के निकाले जाने या वेतन रोक दिये जाने की खबरें लगातार मिल रही हैं।
फिर चाहे दिल्ली एनसीआर स्थित ऑटो बेल्ट की कंपनियों में ,पंतनगर में माइक्रोमैक्स , वोल्टास या रूचीज़ बेवरेजेस नीमराना या सत्यम ऑटो हरिद्वार में छंटनी या वेतन संबंधी मामलों को लेकर मज़दूरों का प्रतिरोध लगातार जारी है।
गैर कानूनी रूप से मज़दूर कहीं छँटनी की मार झेल रहे हैं, तो कहीं अवैध गेटबन्दी, ले ऑफ, सेवा समाप्ति या बर्खास्तगी झेल रहे हैं। हालात बेहद कठिन हैं। पॉकेट में घर चलाने तक के लिए पैसे नहीं है, तो भला वे त्यौहार किस प्रकार मनाएंगे?
उत्तराखंड के पंतनगर स्थित भगवती प्रोडक्ट (माइक्रोमैक्स) के 303 मजदूर 27 दिसंबर 2018 से अवैध छँटनी झेल रहे हैं, तो 47 मज़दूर गैर कानूनी लेऑफ के शिकार हैं।
औद्योगिक न्यायाधिकरण से 1 साल पूर्व ही छँटनी अवैध घोषित हो चुकी है। उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा भी अवार्ड के परिपालन का निर्देश दिया जा चुका है।
इसके बावजूद 351 मज़दूर श्रम विभाग और प्रशासन के उलझाव के शिकार बने हुए हैं और अभी तक कार्यबहाली नहीं हुई। मज़दूरों का धरना कंपनी के गेट पर पिछले 27 महीने से लगातार जारी है।
लम्बी बेरोजगारी का दंश झेलते मज़दूरों के सामने भुखमरी की स्थिति मौजूद है और संघर्ष के जज्बे के बावजूद हालात बेहद कठिन हो गए हैं।
वोल्टास लिमिटेड पंतनगर में नए वेतन समझौते के लिए मांग पत्र देने के बाद से पिछले 3 साल से लगातार जारी दमन के बीच डेढ़ साल से यूनियन के अध्यक्ष महामंत्री सहित 9 मज़दूर बाहर हैं।
प्रबंधन द्वारा काम ना होने का बहाना लगाकर इन मजदूरों की सेवा समाप्ति की गई है, जबकि धड़ल्ले से उत्पादन जारी है।
उल्लेखनीय है कि एयर कंडीशनर का उत्पादन करने वाली टाटा ग्रुप की इस प्रतिष्ठित कंपनी 500 से ज्यादा श्रम शक्ति के लिए पंजीकृत है लेकिन यहां महज 38 स्थाई श्रमिक है और बाकी सारा काम ग़ैरकानूनी रूप से ठेके व नीम ट्रेनी मज़दूरों से होता है।
श्रम विभाग इसपर मौन है। यही नहीं, स्थाई मज़दूरों की पूर्ववर्ती सुविधाओं में लगातार जारी कटौतियों और जारी अवैध गतिविधियों पर भी वे मामले को विलंबित करने और उलझने में ही संलग्न हैं।
कठिन हालात में मज़दूरों का संघर्ष जारी है। कंपनी के बाहर धरना तो भीतर भूखे रहकर काम करने का मज़दूरों का आंदोलन चल रहा है। 2 अप्रैल से मज़दूर हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।
(मेहनतकश की खबर से साभार)
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