बनारस: एक हजार बनारसी साड़ी गद्दियां बंदी की कगार पर, अब तक लग चुकी है दो हजार करोड़ की चपत
लॉकडाउन से लड़खड़ाया बनारसी साड़ी का कारोबार करीब डेढ़ साल बाद भी उबर नहीं सका है। इस बार भी त्योहारों पर ज्यादा मांग न होने से करीब एक हजार साड़ी की गद्दियां बंदी की कगार पर हैं।
अबकी शारदीय नवरात्र में पश्चिम बंगाल से भी अच्छा नहीं ऑर्डर नहीं है। वहीं तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में कुछ फर्में बंद होने से भी कई व्यापारियों के व्यवसाय पर असर पड़ा है।
साड़ी बाजार में सालभर के कारोबार का आधा हिस्सा केवल शारदीय नवरात्र में होता है। जुलाई से सितंबर के बीच 500-600 करोड़ रुपये के इस कारोबार से बाजार में रौनक रहती है।
पिछले साल लॉकडाउन के बाद जब सितंबर-अक्तूबर में बाजार थोड़ा सुधरा था तो कारोबारियों ने जमापूंजी लगाकर दोबारा काम शुरू किया था। इस गर्मी की लगन में कोरोना का दूसरी लहर व नवरात्र के ऑर्डर न मिलने के बाद अब छोटे व मध्यम स्तर पर काम करने वाली साड़ी गद्दियों के बंद होने की नौबत आ गई है।
बनारस में 10-12 हजार साड़ी गद्दियां हैं। चौक, कुंजगली, सुतटोला, ठठेरी बाजार, रानीकुआं, लल्लापुरा, मदनपुरा, चौखंभा, ब्रह्मनाल, रेवड़ी तालाब, लोहता जगहों पर साड़ी गद्दियां हैं। कोरोना काल में पहले से 2000 करोड़ रुपये का नुकसान साड़ी कारोबार को हो चुका है।
बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के महामंत्री राजन बहल और सदस्य चंदन खन्ना ने बताया कि साड़ी कारोबार का बड़ा हिस्सा उधार पर चलता है। लंबे समय से पैसा फंसने से कई साड़ी कारोबारियों के सामने संकट है।
अभी एक हजार साड़ी गद्दियां बंदी की कगार पर हैं। यदि यही हाल रहा तो इससे कहीं ज्यादा गद्दियों पर ताला लग जाएगा। बनारस साड़ी डीलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष हाजी अब्दुल रहीम ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से अन्य राज्यों के कारोबारी ऑर्डर नहीं दे रहे हैं।
इससे पूरा बाजार प्रभावित है। साड़ी कारोबारी मेडिकल, रियल एस्टेट क्षेत्रों में जा रहे हैं।
(साभार-हिंदुस्तान)
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