बरनाला की रैली से नई करवट लेता किसान आंदोलन
By संदीप राउज़ी
जिस समय कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन अपने सबसे बड़े संकट में है, पंजाब के बरनाला में 21 फ़रवरी को क़रीब एक लाख से अधिक संख्या में मज़दूर किसान एकता महा रैली का आयोजन कर किसान नेताओं ने अपनी ताक़त का मुजाहिरा कर दिया।
पहली बार ऐसा हो रहा है कि उगराहां के मंच पर संयुक्त किसान मोर्चे के लोग भी मौजूद थे। गौरतलब है कि मोर्चे में उगराहां शामिल नहीं है हालांकि उसके फैसले को वो अभी तक मानता और लागू करता आया है। ये दिखाता है कि मोर्चा और उगराहां के बीच अब तालमेल और बेहतर हो रहा है।
खेत मज़दूर यूनियन और भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां की ओर से आयोजित इस रैली में किसान आंदोलन के तीन महीने पूरे होने पर 27 फ़रवरी को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया।
भारी भीड़ के कारण बरनाला के अनाज मंडी आने वाले लगभग सारे रास्ते में घंटों जाम रहा। इस आयोजन में भारी संख्या में महिलाएं भी पहुंचीं थीं।
महा रैली के संयोजक लक्ष्मण सिंह सेवेवाला, जनरल सेक्रेटरी पंजाब खेत मज़दूर यूनियन कहते हैं कि ये सिर्फ पंजाब ही नहीं देश के किसान आंदोलन में एक ऐतिहासिक पड़ाव है क्योंकि अभी तक कहा जा रहा था कि खेत मज़दूर इस आंदोलन में कहीं नहीं हैं।
लक्ष्मण सिंह का कहना था कि तीन कृषि क़ानूनों में कई ऐसे मुद्दे हैं जो मज़दूरों को सीधे प्रभावित करते हैं, यही कारण है कि पंजाब के खेत मज़दूर किसानों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर इस आंदोलन में शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा से पहुंचे नेताओं में बलबीर सिंह राजोवाल भी थे। उन्होंने मोदी सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता में कब कब क्या हुआ, इसका तफ़सील से ब्योरा देते हुए कहा कि मंत्री चाहते थे कि जितनी मर्जी संशोधन करा लीजिए लेकिन रद्द करने को मत कहिए।
सरकार ने यहां तक कहा कि आप पूरे क़ानून को बदल दीजिए लेकिन इसे रद्द या रीपील न कहिए।
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी के ट्रैक्टर परेड में क़रीब डेढ़ सौ किसानों को गिरफ़्तार किया गया, जिसके लिए एक क़ानूनी सहायता कमेटी बनाकर ज़मानत और लापता लोगों की तलाश की कोशिशें की जा रही हैं।
राजोवाल ने कहा कि पंजाब में भी दिल्ली पुलिस आकर किसानों को परेशान कर रही है और उन्हें नोटिस देकर तलब कर रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी किसान बिना मोर्चे की क़ानूनी टीम को जानकारी दिए, दिल्ली पुलिस के नोटिस पर उनके पास न जाए।
उन्होंने पंजाब सरकार से दिल्ली पुलिस को सहयोग न किए जाने की भी अपील की।
सभा को महिला किसान नेता हरिंदर बिंदु ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि खेती किसानी में महिलाओं की एक बड़ी संख्या काम करती है और इन कानूनों का सबसे अधिक असर महिलाओं पर पड़ेगा।
सबसे अंत में जोगिंदर सिंह ने 26 तारीख़ के ट्रैक्टर मार्च पर मोर्चे के निर्णय की खिंचाई करते हुए कहा कि उनके संगठन ने सरकार की चाल के प्रति अगाह किया था। उन्होंने कहा कि ये लंबी लड़ाई है और कारपोरेट के ख़िलाफ़ अब मज़दूरों को भी खड़ा होना होगा।
उन्होंने तीन प्रोग्राम का घोषणा की है। 23 फ़रवरी को चाचा अजीत सिंह के जन्मदिन को पूरे देश में मनाया जाए। गौरतब है कि इसी दिन किसान संयुक्त मोर्चा पगड़ी संभाल कार्यक्रम कर रहा है।
दूसरा प्रोग्राम 27 फ़रवरी को पूरे पंजाब से लोग दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचें। इस फ़ैसले को सारी जत्थेबंदियों ने एकसाथ लिया है।
तीसरा प्रोग्राम 8 मार्च को पूरे किसान आंदोलन में महिला दिवस मनाया जाए। ये घोषणा करते हुए उन्होंने संयुक्त मोर्चे का भी आह्वान किया, जिसके जवाब में मंच पर ही मोर्चे के सदस्यों ने सहमति दे दी।
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