बस्ती: नगर पालिका के ठेका मज़दूरों को बीते 7 महीनों से नहीं मिला वेतन

बस्ती: नगर पालिका के ठेका मज़दूरों को बीते 7 महीनों से नहीं मिला वेतन

उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले में नगरपालिका के ठेका मज़दूरों को बीते सात महीनों के वेतन नहीं दिया गया है। जिसके कारण सभी मज़दूर काफी परेशान हैं। मज़दूरों का कहना है कि त्यौहार बिलकुल करीब है और हम मज़दूरों को वेतन नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण जीवनयापन करने में काफी दिखातों का सामान करना पड़ रहा है।

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वेतन न मिले कि समस्याओं को लेकर लगभग 100 ठेका मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक सामूहिक पत्र श्रम विभाग में मौजूद उपश्रमायुक्त को सौंपा। ठेका मज़दूरों को वेतन न मिले के मुद्दे पर तुरंत कार्रवाही करते हुए उपश्रमायुक्त ने नगरपालिका प्रबंधन से वेतन न देने का कारण पूछते हुए कुछ और सालों का विवरण मांगा है।

श्रम विभाग ने मांगा लिखित विवरण

श्रम विभाग ने नगरपालिका से काम करने वाले ठेका मज़दूरों की सूची, महीने में कितना वेतन दिया जाता है और कितने महीनों का वेतन बकाया है इन सभी सवालों पर लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है।

ठेका मज़दूरों के अगुवा नेता राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि मांगों का ज्ञापन देते समय श्रम विभाग से डीएलसी, श्रम प्रवर्तन अधिकारी विनय दुबे सहित नगर पालिका से गणेश सिंह, केशव शुक्ला, श्रमिक पक्ष से सीटू नेता के के तिवारी, पालिका यूनियन के राकेश कुमार गुप्ता, दीपक कुमार मौजूद रहे।

साथ ही मज़दूरों में मेविनाय शुक्ल ,विनोद धर दुबे,राजीव कुमार, इंद्रजीत यादव, लक्ष्मण प्रसाद, उमेश चंद्र यादव, राजकुमार, चंद्रदेव त्रिपाठी,मो.टीपू , मोह.मेहताब, धर्मात्मा प्रसाद, विजय उपाध्याय, मनोज कुमार,भैया राम यादव, शिव पूजन, मुरलीधर, पिंटू, असलम, अहमद, अशोक कुमार, उदैभान, दिलीप कुमार, राम आशीष, शत्रुघन आदि मौजूद रहे।

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गौरतलब है कि जहां एक तरफ मोदी सरकार हर बेरोज़गार को रोज़गार देने का दावा कर रही है उसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि रोज़गार तो है लेकिन समय से वेतन नहीं मिलता है। यह तो साफ तौर पर ठेका मज़दूरों का शोषण है। ठेका मज़दूरों को समय से वेतन मिलने का मामला केवल बस्ती का ही नहीं पूरे देश में ठेका मज़दूर इस समस्या से जूझ रहे हैं।

इतना ही नहीं देश कि राजधानी दिल्ली में भी ठेका मज़दूरों को अपना वेतन पाने के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ा है। कई बार तो मज़दूर इतने परेशान हो जाते हैं कि उनको धरने पर भी बैठना पड़ता है।

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WU Team

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