प्रधानमंत्री मोदी कर रहे निजीकरण, उनके मंत्री से एलआईसी कर्मी कर रहे फरियाद
बीमा कर्मी संघ बरेली डिवीजन के एक प्रतिनिधिमंडल ने 29 अगस्त को बरेली लोकसभा के बीजेपी सांसद और श्रम मंत्री संतोष गंगावर को ज्ञापन देकर निजीकरण की ओर बढ़ते मोदी सरकार के कदम का विरोध किया है।
मोदी सरकार ने देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इश्योरेंस कॉर्पोरेशन (एलआईसी) का इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) जारी करने की घोषणा की है।
बैंक कर्मचारियों का कहना है कि सरकार इस तरह एलआईसी जैसी अकूत लाभ कमाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को निजी हाथों में देने जा रही है।
सरकार के इस फैसले से बीमा कर्मचारियों में खासा आक्रोश है। इन्होंने 24 अगस्त को उत्तर मध्य क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन भी किया था।
बीमा कर्मियों ने सौपे गए ज्ञापन में एलआईसी का राष्ट्र के निर्माण में क्या योगदान रहा इस भूमिका के बारे में बताया है।
साथ ही 42 करोड़ पॉलिसी धारकों को दी जा रही सामाजिक सुरक्षा का भी हवाला दिया है।
बीमा कर्मियो का कहना है कि, “राष्ट्र निर्माण में एलआईसी की अहम भूमिका रही है। और 42 करोड़ पॉलिसी धारकों को सामाजिक सुरक्षा मिल रही है। इसके बाद भी यदि एलआईसी को निजी हाथों में दिया जाता है तो ये खतरे से खाली नहीं है।”
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किसको ज्ञापन, किससे अपील?
प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में संतोष गंगावर से इस मुद्दे को संसद में उठाने के लिए आग्रह किया है।
बीबीसी की एक ख़बर के अनुसार, इंश्योरेंस मार्केट में एलआईसी का 70 फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सेदारी है।
सरकार जब भी मुश्किल में फंसती है तो एलआईसी किसी भरोसेमंद दोस्त की तरह सामने आई। इसके लिए एलआईसी ने ख़ुद भी नुक़सान झेला है।
इससे पहले 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं सालगिरह पर एलआईसी कर्मचारियों ने एलआईसी में आईपीओ के ख़िलाफ़, पब्लिक सेक्टर में निवेश न करने, श्रम क़ानूनों में बदलाव को लेकर विरोध जताया था।
लेकिन एलआईसी कर्मचारी यूनियन मोदी सरकार के मंत्रियों के पास सिफ़ारिश करने की जगह अगर संघर्ष की कोई ठोस रूपरेखा नहीं बनाते हैं तो ये प्रक्रिया रूकने वाली नहीं दिखाई देती।
लॉकडाउन की आड़ लेकर मोदी सरकार ऐसी क़रीब चार दर्जन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचने का खाका तैयार कर लिया है और इसकी घोषणा भी कर दी है।
वैसे भी कहा जाता है कि मोदी सरकार में कोई भी फैसला सीधे मोेदी के निर्देशन में पीएमओ करता है और वहां सिर्फ फैसले किए जाए हैं और लागू कराए जाते हैं, परिणाम चाहे जो हो।
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