लेबर कोड जल्द लागू करने की अपील कर रहा है भारतीय मजदूर संघ: संतोष गंगवार
By आशीष आनंद
केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने एक बार फिर कहा है कि केंद्र सरकार चार लेबर कोड यानी श्रम संहिताओं को पूरे देश में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि ‘भारतीय मज़दूर संघ ने जल्द से जल्द इन श्रम संहिताओं को लागू करने का आग्रह किया है।’ गुरुवार को संतोष गंगवार अपने संसदीय क्षेत्र बरेली में थे। भारतीय मज़दूर संघ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से का मज़दूर फ्रंट है और उसकी वफ़ादारी बीजेपी से जुड़ी रही है और ज़मीन पर वे लेबर कोड का विरोध जताते रहे हैं।
न्यूज़ वेबसाइट द लीडर हिंदी से बातचीत में गंगवार ने कहा, “नए लेबर कोड मजदूर हित में हैं और उनको पसंद किया जा रहा है। कल ही भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने सभी श्रम संहिताएं जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया।”
ग़ौरतलब है कि 44 श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर उन्हें चार लेबर कोड में समेटे जाने का पूरे देश में विरोध हो रहा है। ट्रेड यूनियनों और मज़दूर कर्मचारी संगठनों ने श्रम मंत्रालय पर आरोप लगाया है कि ‘उनसे बिना सलाह मशविरा के ही लेबर कोड बना दिए गए। यहां तक कि राज्यों से भी कोई सलाह नहीं ली गई जबकि संघीय ढांचे में ये राज्यों का मामला है।’
संतोष गंगवार ने कहा, “नए लेबर कोड केंद्र से पास हो चुके हैं, जिन्हें राज्यों की सहमति से लागू किया जाना है। आधे राज्यों ने सहमति दे दी है और बाकी जगह भी विचार चल रहा है। अनुमान है कि दो-तीन महीने में लेबर कोड लागू हो जाएंगे।”
इस इंटरव्यू में भी संतोष गंगवार ने कहा, “सप्ताह में 40 घंटे ही काम होगा, चाहे चार दिन में हो या तीन दिन में या पांच दिन में।” हालांकि इसी श्रम मंत्रालय ने कोरोना काल में पूरे देश में श्रम क़ानूनों को स्थगित करने और 12-12 घंटे की शिफ़्ट करने की इजाज़त दी थी।
जापान में हाल ही में चार दिन का कार्यसप्ताह हाेने और भारत में आठ की जगह 12 घंटे काम कराने तैयारी के सवाल पर श्रम मंत्री ने कहा, सप्ताह में 40 घंटे ही काम होगा, यह कार्य समय चाहे चार दिन में हो, तीन दिन में हो या पांच दिन में।
श्रम मंत्री ने कहा कि, “आजादी से आज तक तय ही नहीं था कि मजदूर को वेतन किस तारीख में मिलेगा, नए लेबर कोड में यह सुनिश्चत किया गया है।”
उल्लेखनीय है कि पूरे देश में एक साथ लेबर कोड लागू करने की कई बार समय सीमा तय की गई लेकिन हर बार ये टलती रही। श्रम मंत्रालय का कहना है कि कई राज्यों ने अपने यहां लेबर कोड को लेकर अपनी सहमति नहीं दी है इसलिए इसमें देरी हो रही है।
अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और केरल राज्यों ने लेबर कोड को मज़दूर विरोधी क़रार दिया है और कहा कि वे अपने यहां लागू नहीं करने के पक्ष में हैं।
लेबर कोड में प्रस्तावित प्रवाधानों में काम के घंटे, 12 घंटे किए जाना भी काफ़ी विवादास्पद रहा है। बीते साल दिसम्बर में बैंगलुरु के पास कोलार औद्योगिक क्षेत्र में 12 दिसम्बर को फूटे मज़दूरों के गुस्से के बाद श्रम मंत्रालय ने सफाई दी है कि ड्राफ़्ट रूल में 12 घंटे के कार्यदिवस का प्रावधान नहीं है।
लेबर कोड में जिन बातों पर मज़दूर संगठनों और यूनियनों की आपत्ति है उसमें हड़ताल करने के अधिकार, ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार, लेबर कोर्ट को ख़त्म किया जाना, औद्योगिक विवाद अधिनियम को न्यायालय की बजाय लोकल प्रशासन के हवाले किए जाने, लेबर इंस्पेक्टर के पद ख़त्म कर फ़ैक्ट्री प्रबंधन को ये अधिकार दिए जाने आदि प्रवाधान शामिल हैं।
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