वैक्सीन बेचने वाले डकैतों से भी बदतर… वैक्सीन की कीमत पर भड़के भाजपा विधायक
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को टीका लगवाने का ऐलान कर दिया है।
एक मई से टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस बीच गोरखपुर से भाजपा विधायक डा.राधा मोहन दास अग्रवाल ने कोविशील्ड वैक्सीन की लागत के मुकाबले आम आदमी के लिए बताई जा रही उसकी कीमत को लेकर सवाल उठाया है।
विधायक ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि वैक्सीन को जिन कीमतों पर भारत सरकार, राज्य सरकार और आम नागरिकों को उपलब्ध कराने की बात कही गई है उसमें बड़ी विसंगति है।
अपने ट्वीट में भाजपा विधायक ने यहां तक लिख दिया कि-‘तुम तो डकैतों से भी बदतर हो। तुम्हारी फैक्ट्री का एपिडेमिक ऐक्ट में अधिग्रहण कर लेना चाहिए।’
पेशे से चिकित्सक, डा.राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि कंपनी ने भारत सरकार को यह वैक्सीन दो सौ रुपए, राज्य सरकार को चार सौ और जनता को छह सौ रुपए में देने की बात कही है। जबकि कंपनी ने ही वैक्सीन की लागत 220 रुपए बताई है।
जब कंपनी भारत सरकार को 200 रुपए में वैक्सीन दे सकती है तो जनता को छह सौ रुपए में क्यों देगी? क्या इस संकट काल में वैक्सीन से कमाई की सीमा नहीं तय होनी चाहिए? पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को टैग करते हुए उन्होंने लिखा कि ऐसी फैक्ट्री का एपिडेमिक ऐक्ट में अधिग्रहण कर लेना चाहिए। विधायक ने कहा कि संकट काल में आखिर इन्हें कितना प्राफिट मार्जिन चाहिए।
गौरतलब है कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट, एस्ट्रा जेनेका की कोविशील्ड का उत्पादन कर रहा है। अदार पूनावाला इस कंपनी के सीईओ हैं।
कंपनी ने राज्य सरकारों और देश के निजी अस्पतालों के लिए अपनी कोविशील्ड वैक्सीन की कीमत की घोषणा की है। राज्य सरकारों को वैक्सीन की प्रति खुराक के लिए चार सौ रूपये और निजी अस्पतालों को छह सौ रूपये देने होंगे।
जबकि केंद्र सरकार को कंपनी ने दो सौ रुपए की दर से वैक्सीन की आपूर्ति की है। कंपनी ने देश में टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए केन्द्र द्वारा हाल में दी गई छूट के मद्देनजर इन कीमतों की घोषणा की है।
नए प्रावधानों के तहत वैक्सीन निर्माता और आपूर्तिकर्ता अपनी कोविड वैक्सीन का 50 प्रतिशत केन्द्र को और 50 प्रतिशत राज्य सरकारों और खुले बाजार में निजी अस्पतालों को बेचेंगे।
राज्य सरकारें अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकेंगी वैक्सीन की खरीद
इस मीटिंग में एक अहम फैसला यह भी हुआ है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपने कुल उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा राज्य सरकारों को देंगी, जबकि आधी खेप खुले बाजार में पहले से तय कीमत पर बेच सकेंगी। यही नहीं राज्य सरकारें अपनी जरूरत के हिसाब से सीधे कंपनियों से वैक्सीन की खरीद कर सकती हैं।
45 साल से अधिक आयु वालों को पहले की तरह लगता रहेगा टीका
इसके अलावा राज्य सरकार ने एक बात और साफ कही है कि पहले से तय प्राथमिकता समूह के लोगों का वैक्सीनेशन जारी रहेगा। फिलहाल 45 साल से अधिक आयु के लोगों को सरकारी केंद्रों और निजी अस्पतालों में टीका लग रहा है।
(हिंदुस्तान की खबर से साभार)
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