भाजपा सांसद का बयान: ये मजदूर नहीं, गर्मी की छुट्टियां मनाने जाने वाले लोग हैं

भाजपा सांसद का बयान: ये मजदूर नहीं, गर्मी की छुट्टियां मनाने जाने वाले लोग हैं

उत्तरप्रदेश की प्रतापगढ़ लोकसभा के भाजपा सांसद संगमलाल गुप्ता का कहना है कि सडक़ों पर बेहाल करती धूप में जैसे तैसे घर का रास्ता पकडऩे की कोशिश कर रहे लोग मजदूर नहीं, बल्कि गर्मी की छुट्टियां मनाने जा रहे लोग हैं।

उत्तरप्रदेश सरकार के एक के बाद एक उठाए जाने वाले मजदूर विरोधी रुख के बाद भाजपा नेताओं के ऐसे बयान मजदूरों के जख्मों पर नमक रगडऩे जैसा है।

भाजपा सांसद संगमलाल गुप्तान ने एक बयान में कहा, ‘भीड़ को ध्यान से देखिए, इनमें एक भी मजदूर नहीं लगता। प्रवासी मजदूर तो कब के अपने गांव लौट चुके हैं। ये वो लोग हैं जो गर्मी की छुट्टियां मनाने ट्रेन यात्रा करने आए थे। जब दो महीने में इन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ, तो आगे समझ लें, इन्हें कुछ नहीं होगा। ’

workers on the road barefoot

इस तरह का बयान तब खासा तकलीफदेह है, जब रोज हजारों मजदूर ट्यूब के सहारे अभी यमुना पार करके हरियाणा से यूपी की सीमा में दाखिल हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें बॉर्डर पुलिस रोक रही है।

ट्रेनों से भी जिन मजदूरों को ढोकर ले जाया जा रहा है, वे वही हैं जिनको ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सहूलियत मिल गई। अब तक 600 से ज्यादा मजदूर शहर से गांव जाने के दौरान हादसों में मारे जा चुके हैं।

वहीं, सैकड़ों हृदयविदारक तस्वीरों और वीडियो सोशल मीडिया से लेकर मजदूर मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंच चुके हैं, जिनका अंत ही नहीं हो रहा।

मजदूरों को घरों तक पहुंचाने के नाम पर अभी भी यही हो रहा है कि सैकड़ों मजदूरों को ट्रेन से ले जाकर जहां तहां पटक दिया जा रहा है, जहां खाना और पानी तक का कोई बंदोबस्त नहीं है।

इस पर तुर्रा ये कि उत्तरप्रदेश के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया कह रहे हैं कि ‘मजदूर ही प्रदेश के मालिक हैं, उन्हें हम खटारा बसों से नहीं जाने दे सकते’। जबकि हकीकत ये है कि प्रदेश रोडवेज बसों का हाल बरसों से बहुत खराब है।

सुबह जाकर शाम को वापस आ जाने वाली बसों में हेडलाइट तक साबित नहीं है, सीटें टूटी हैं, खिड़कियां साबित नहीं है, सेल्फ नहीं है, जिससे सवारियों को धक्का देना पड़ता है।

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ashish saxena