ईंट भट्ठे पर छोटे बच्चों से कराया जा रहा था बंधुआ मज़दूरी, छापे पड़ा तो मालिक फरार
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लॉकडाउन के दौरान जहां उद्योग और बाज़ार बंद हैं, ईंट भट्ठे जैसी जगहों पर मज़दूरों को बंधुआ बनाकर काम कराया जाता रहा और मज़दूरी देने के नाम पर हीला हवाली की जाती रही। यहां तक कि बच्चों से 12-12 घंटे काम कराया जाता रहा और मज़दूरी देने में हीला हवाली की जाती रही।
अंतर में परेशान होकर जब मज़दूरों ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा से संपर्क किया तब जाकर प्रशासन की मदद से उन्हें छुड़ा गया। ये घटना उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फरनगर में ईंट भट्ठे की है।
जिलाधिकारी के आदेश पर अतिरिक्त जिलाधिकारी एवं उप खंड अधिकारी सदर के प्रयास से एक टीम गठित की गई जो 19 मई को रुबी ईंट भट्टा गांव बजरी पहुंची। जब प्रशासन की टीम तहसीलदार, लेबर ऑफिसर एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के विनोद कुमार, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क की एडवोकेट जोइसी मिलन जाऊ एवं एक्शन एसोसिएशन के कमर खान की टीम के साथ रूबी भट्टे पर छापा मारा तो अचानक रेस्क्यू टीम को देखकर मालिक मौके से फरार हो गया।
पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान देश में लगे पहले लॉकडाउन ने मजदूरों को भरी आर्थिक संकट में डाल दिया। इसी वजह से ईंट भट्ठा मज़दूर परिवारों को मजबूरन बीते नवंबर में अपनी जान की परवाह न करते हुए यूपी के मुजफ़्फ़रनगर में रूबी ईंट पर काम करने जाना पड़ा।
देश भर में असंगठित मजदूरों के साथ कार्यरत संगठन बंधुआ मुक्ति मोर्चा को ईट भट्टा मज़दूर दानिश ने बताया कि वह अपने परिवार एवं अन्य 4 परिवारों के साथ खाने कमाने के लिए किसी की मदद से रूबी ईट भट्टा, मारका गगन, गांव बजेरी, न्यू मंडी पुलिस थाना, तहसील सदर मुजफ्फरनगर पर गया।
यह मजदूर गांव सिकरेड़ा, तहसील मुजफ्फरनगर के लगभग 7 परिवार की संख्या में 30 से भी ज्यादा थे जो ईंट बनाने का काम कर रहे थे लेकिन मालिक ने मजदूरों को कोरोना की महामारी की दूसरी लहर के दौरान लगे लॉकडाउन में पेट भरने के लिए भी ठीक से भोजन तक नहीं दिया और काम लेना जारी रखा।
मजदूरों द्वारा बार-बार मज़दूरी मांगने पर मालिक का कहना होता कि मजदूरी दे दी जाएगी पहले काम खत्म करो।
मजदूर रूबी ईंट भट्टे पर काम करने के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थे किंतु मालिक मजदूरों को कार्य स्थल से घर जाने से रोक रहा था। मजदूरों ने कई बार मालिक को हिसाब करने के लिए बोला किंतु मालिक ने हर बार किसी न किसी तरीके से मजदूरों को उनके घर जाने से रोका।
अप्रैल के अंत में जब मज़दूर उनकी मज़दूरी न मिलने के कारण परेशान होने लगे तब उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा का दरवाजा खटखटाया। बंधुआ मुक्ति मोर्चा को मिली जानकारी के आधार पर संगठन की ओर से जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर को एक शिकायत पत्र कंप्लेंट के माध्यम से दिनांक 9 मई, 2021 को भेजा गया।
प्रशासन ने उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की फिर से दो अलग-अलग स्मरण पत्र मई में प्रेषित किए गए।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने 17 को जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर को फ़ोन कर बंधुआ मजदूरों को तत्काल रिहा करने की अपील की।
दर्ज बयान के अनुसार कुछ मजदूर मालिक के डर से ईंट भट्टे से बिना मजदूरी लिए ही भाग गए। मालिक मजदूरो से जबरन काम ले रहा था एवं मजदूरों को उनके घर जाने से रोक रहा था। रुबी भट्टे में बच्चे कार्यरत थे। एडवांस देकर मजदूरों से जबरन काम लेना एवं मजदूरों के रोजगार में स्वतंत्रता ना होना ही किसी भी कार्यस्थल पर बंधुआ मज़दूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 का घोर उल्लंघन है ।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने बताया कि तत्काल सभी मजदूरों को पुलिस संरक्षण के साथ मुक्ति प्रमाण पत्र देकर उनके निवास स्थान पर भेजना चाहिए और श्रम विभाग को त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी मजदूरों के वेतन को तत्काल भुगतान करवाने का प्रयास करना चाहिए ताकि लॉकडाउन के दौरान मजदूर भूख का शिकार ना हो।
जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर को तत्काल ही ₹20000 की सहायता राशि एवं मुक्ति प्रमाण पत्र प्रति बंधुआ मजदूर को प्रदान करना चाहिए ताकि वह अपने स्वतंत्र जीवन की शुरुआत कर सके।
इसी क्रम में निर्मल गोराना ने उत्तर प्रदेश की सरकार से अपील की है कि उत्तर प्रदेश में सक्रिय समस्त भट्ठों पर मजदूरों की एक बार सुध लेने की आवश्यकता है एवं उन्हें सामाजिक सुरक्षा के रूप में 10,000 रुपया मुहैया करवाया जाए ताकि लॉकडाउन के चलते उनको परेशानी ना आए।
साथ ही उत्तर प्रदेश की सरकार कोरोना से मुक्ति के लिए वैक्सीन लगवाने का अभियान चला रही है जिसमें ईंट भट्ठा मज़दूर परिवारों को प्राथमिकता दी जाए जो कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हैं।
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